बाबरी मस्जिद मामला: फैसले के वक्त अदालत में मौजूद नहीं रहेंगे, अडवाणी, जोशी और उमा
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बाबरी मस्जिद मामला: फैसले के वक्त अदालत में मौजूद नहीं रहेंगे, अडवाणी, जोशी और उमा

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को 16वीं सदी की बनी इस बाबरी मस्जिद को कार सेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया था जिसे लेकर मुल्कभर में फिरकावाराना (सांप्रदायिक) माहौल पैदा हो गया था,

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कल यानी 30 सिंतबर को 28 साल बाबरी मस्जिद इन्हेदाम (विध्वंस) मामले का फैसला आएगा. सीबीआई की खास अदालत यह फैसला सुनाने जा रही है. इस मामले 49 लोगों को मुल्ज़िम बनाया गया था. जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है. 

इस मामले में अदालत ने कहा था कि फैसले के वक्त सभी मुल्ज़िमों का अदालत में मौजूद होगा. हालांकि अब खबर आ रही है कि भाजपा लीडर लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह
नृत्यगोपाल दास और सतीश प्रधान अदालत में मौजूद नहीं रहेंगे. इनके अदालत में मौजूद न रहने की वजह खराब सेहत बताई जा रही है. 

हालांकि चंपत राय, बृजभूषण सिंह, पवन पांडेय, लल्लू सिंह, साक्षी महाराज, साध्वी ऋतम्भरा, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, ओपी पांडेय, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे वगैरा अदालत में मौजूद रहेंगे. 

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को 16वीं सदी की बनी इस बाबरी मस्जिद को कार सेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया था जिसे लेकर मुल्कभर में फिरकावाराना (सांप्रदायिक) माहौल पैदा हो गया था, दंगे भी हुए और हज़ारों की तादाद में लोगों ने इन दंगों में अपनी जान गंवाई. तबसे ही यह मामला अदालत में चल रहा था.

इस मामले में हिंदू फरीक का दावा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की तामीर मुगल शासक बाबर ने 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाई थी. जबकि मुस्लिम फरीक का दावा था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी.

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