Hazrat Owais Qarni History: कहानी आशिके रसूल हज़रत ओवैस करनी की, जिसने तोड़ दिए अपने सारे दांत!
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Hazrat Owais Qarni History: कहानी आशिके रसूल हज़रत ओवैस करनी की, जिसने तोड़ दिए अपने सारे दांत!

Hazrat Owais Qarni Tarikh: हज़रत ओवैस करनी की गिनती सफे अव्वल की ताबीईन में होती है. उन्होंने प्रोफेट मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जमाना तो पाता, लेकिन वह हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जियारत नहीं सके. 

Hazrat Owais Qarni History: कहानी आशिके रसूल हज़रत ओवैस करनी की, जिसने तोड़ दिए अपने सारे दांत!

Hazrat Owais Qarni History: हज़रत ओवैस करनी को खैर-उल-तबीईन कहा जाता है. ये लकब उन्हें खुद हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो सल्लम ने अता फरमाया था. वह यमन के रहने वाले थे. जब आप छोटे थे, उसी वक्त हज़रत ओवैस करनी के पिता का इंतेकाल हो गया था. मां ने पालन-पोषण की जिम्मेदारी संभाली. जब हज़रत ओवैस करनी ने होश संभाला तो उन्होंने अपनी मां मीबार और नाबीना पाया. इसके बाद से ओवैस करनी ने अपनी मां की देखभाल और खिदमत को अपना फरीज़ा बना लिया. अपनी मां की इसी सेवा और खिदमत की वजह से हजरत ओवैस करनी को हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो सल्लम की बारगाह में मकबूलियत मिली.

हज़रत ओवैस करनी की गिनती सफे अव्वल की ताबीईन में होती है. उन्होंने प्रोफेट मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जमाना तो पाता, लेकिन वह हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जियारत नहीं सके. इसकी वजह ये बयान की जाती है कि उनकी मां काफी बीमार और नाबिना थीं और वह उन्हें छोड़ कर सफर नहीं कर सकते थे. इसलिए हज़रत ओवैस करनी ताबीई हैं, सहाबी नहीं. 

प्रोफेट मोहम्मद ने सहाबियों को हज़रत ओवैस करनी से मिलने का दिया था हुक्म
प्रोफेट मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत ओवैस करनी का जिक्र करते हुए अपने सहाबियों को हुक्म दिया था कि तुम में से जो भी ओवैस करनी से मिले, उनसे दुआ कराए. एक रिवायत के मुताबिक, प्रोफेट मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत उम्र को खास तौर पर हुक्म दिया है कि जब तुम ओवैस करनी से मिलो तो उन्हें मेरा सलाम कहना और कहना कि वह तुम्हारे लिए मगफिरत करे, क्योंकि वह कबीला रबीया और मुजर के बराबर लोगों की शफाअत करेगा. एक रिवायत ये भी है कि अमीर अल-मुमिनिन, हज़रत उमर फारूक और अमीर अल-मुमिनिन हज़रत अली दोनों को हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत ओवैस करनी से तलबे दुआ का हुक्म दिया था और बाद में दोनों साहिबान ने हजरत ओवैस करनी से दुआ करवाई.

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया से रुख्सत के के करीब दस साल बाद तक हजरत ओवैस करनी की तलाश जारी. हजरत अबु बक्र सिद्दीक का दौर गुजर गया, लेकि हजरत ओवैस करनी को नहीं तलाश किया जा सका. 

रिवायत में आया है कि फिर जब हजरत उमर फारूक रजि अल्लाह उन्हु का दौरान आया तो उन्होंने हजरत बिलाल बिन रिबाह को हजरत ओवैस करनी की तलाश का  हुक्म दिया. हजरत बिलाल बिन रिबाह हजरत ओवैस कर्नी से मिले, उन्होंने कहा: हे ओवैस, हजरत उमर आपसे मिलना चाहते हैं, जिस पर हजरत ओवैस करनी हजरत उमर और सैयद अली अली मुर्तजा से मिले.

अल्लाह के रसूल की मोहब्बत में तोड़ दिए दांत!
जब हज़रत उमर फारूक से ओवैस करनी की मुलाकात हुई तो उन्होंने ओवैस करनी से कहा- ऐ ओवैस, तुम अल्लाह के रसूल के पास क्यों नहीं गए? जवाब में हज़रत ओवैस कर्नी ने कहा: आप दोनों (हजरत उमर और हज़रत अली) ने अल्लाह के रसूल से मुलाकात की. फिर हज़रत ओवैस करनी ने सवाल किया कि बताए कि उहुद की लड़ाई के दिन अल्लाह के रसूल के कौन से दांत शहीद हुए थे. फिर ओवैस करनी ने कहा कि चूंकि मुझे पता नहीं था कि अल्लाह के रसूल के कौन से दांत शहीद हुए, इसलिए मैंने अपने सारे दांतों को तोड़ दिया, तब जाकर मुझे करार आया. हज़रत ओवैस करनी की ये बातें सुनकर हज़रत अली और हज़र अली दोनों ज़ारो कतार रोने लगे.

क्या फर्जी है दांत तोड़ने की रिवायत?
हालांकि बहुत सारे उलमा ए किराम ने कहना है कि दांत तोड़ने की रिवायत जो हज़रत ओवैस करनी की तरफ मंसूब की गई है, फर्जी है. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है. दांत तोड़ने की रिवायत गलती से किसी ने हज़रत ओवैस करनी की तरफ से मंसूब कर दी.

मां की खिदमत करके हज़रत ओवैस करनी ने कामय की मिसाल
इस्लाम की तारीख में हजरत ओवैस करनी को मां की खिदमत, अताअत और हुस्ने सुलूक के हवाले से भी खास शोहरत हासिल है. रिवायत है कि सरकार ﷺ ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि ऐ अल्लाह! मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुशकिया है ''मां" की खिदमत ''तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..!

रिवायतों में आया है कि ओवैस करनी ने अल्लाह के रसूल का जमाना तो पाया लेकिन अपनी बूढ़ी और बीमार मां को छोड़ कर कभी मदीना नहीं आ सके और मां की जिंदगी तक भरपूर उनकी खिदमत करते रहे.

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