मकर संक्राति पर आखिर क्यों खाई जाती है खिंचड़ी? जाने धार्मिक और स्वास्थ्यवर्धक कारण
Raj Rani
Jan 14, 2025
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो बड़े उत्साह के साथ आज 14 जनवरी को देश भर में मनाई जा रही है.
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा स्वास्थ्य, धार्मिक आस्था और समानता का प्रतीक है, जो सर्दी में शरीर को ऊर्जा और समाज में एकता का संदेश देती है.
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और बनाने का विशेष महत्व है. यह परंपरा केवल एक भोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण भी जुड़े हुए हैं.
दान और पुण्य का प्रतीक
मकर संक्रांति पर तिल, गुड़ और अन्न का दान करने की परंपरा है. खिचड़ी में उपयोग होने वाली सामग्री (चावल, दाल, तिल) इसी दान का रूप होती है. इसे बनाकर और बांटकर पुण्य कमाया जाता है.
देवी-देवताओं का प्रसाद
खिचड़ी को भगवान सूर्य, शनि देव औरअन्य देवताओं को प्रसाद रूप में चढ़ाया जाता है.इसे शुभ और शुद्ध भोजन माना जाता है.
गुरु गोरखनाथ से जुड़ी मान्यता
कहा जाता है कि संत गुरु गोरखनाथ ने खिचड़ी को संतुलित और सात्विक आहार के रूप में अपनाया।.गोरखपुर में इस दिन 'खिचड़ी मेला' भी आयोजित होता है.
सर्दियों के अनुकूल भोजन
खिचड़ी में तिल, दाल और चावल होते हैं, जो शरीर को गर्म रखते हैं.सर्दी के मौसम में यह भोजन पौष्टिक और पचने में आसान होता है.
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
खिचड़ी में दाल और तिल का संयोजन प्रोटीन और आयरन प्रदान करता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है.
सरलता और समानता का प्रतीक
खिचड़ी को हर वर्ग और क्षेत्र में समान रूप से खाया जाता है. यह सामाजिक समानता और एकता का संदेश देती है.
फसल कटाई का उत्सव
यह समय नई फसल के आने का होता है. खिचड़ी में ताजा चावल और दाल का उपयोग किया जाता है, जो नए अन्न के स्वागत का प्रतीक है.
Disclaimer
लेख सामान्य मानयताओं के आधार पर बनाया गया है. ZeePHH इसकी पुष्टि नहीं करता है.