Chaitra navratra: सदियों पुराना है हिमाचल प्रदेश का बगलामुखी मंदिर, मनोकामना पूरी होने के लिए भक्त कराते हैं हवन पूजन
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Chaitra navratra: सदियों पुराना है हिमाचल प्रदेश का बगलामुखी मंदिर, मनोकामना पूरी होने के लिए भक्त कराते हैं हवन पूजन

Mata Baglamukhi mandir: चैत्र नवरात्र में भक्त मां के व्रत रखकर उनकी विधिवत पूजा करते हैं. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्थल हैं जहां इन दिनों भक्तों की लंबी कतार देखी जाती है. बगलामुखी का मंदिर भी इन्हीं में से एक है. 

Chaitra navratra: सदियों पुराना है हिमाचल प्रदेश का बगलामुखी मंदिर, मनोकामना पूरी होने के लिए भक्त कराते हैं हवन पूजन

भूषण शर्मा/नूरपुर: ज्वाली विधानसभा में पठानकोट-मंडी एनएच हाईवे कोटला की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां बगलामुखी का मंदिर है. इस मंदिर की सुरक्षा के लिए गुलेर रियासत के राजा ने 14वीं ईस्वी में किला बनाया था. मां भगवती बगलामुखी माता पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास और आस्था है. 

गुलेर रियासत के राजा रामचंद्र ने मंदिर की सुरक्षा के लिए बनवाई थी दीवार 
मंदिर के पुजारी असीम सागर ने बताया कि मां भगवती बगलामुखी मंदिर की सुरक्षा के लिए 14वीं ईस्वी में गुलेर रियासत के राजा रामचंद्र ने इसके चारों ओर किले का निर्माण करवाया था. जबकि उनका किला गुलेर रियासत में था, जिसे आज भी देखा जा सकता है. कहा जाता है कि मां भगवती उनकी आराध्य देवी थीं. राजा हर दिन मां की पूजा के लिए यहां आया करते थे. लोग यहां घर की सुख शांति के लिए हवन करवाते हैं. कोई यहां धार्मिक आस्था को लेकर हवन करवाता है तो कोई ऊपरी हवा का दोष होने पर यहां हवन करवाता है. पुजारी ने बताया कि मंदिर को छोड़कर बाकी सारी जमीन पुरातत्व विभाग के अधीन है. 

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भक्त ने पंचायत प्रशासन की लगाई गुहार
वहीं, मां के दर्शनों के लिए आए एक श्रद्धालु ने बताया कि वह यहां पिछले 20 साल आते हैं. माता से उनकी बहुत आस्था जुड़ी हुई है. मंदिर की व्यवस्था भी अच्छी है, लेकिन यहां पार्किंग की व्यवस्था ठीक नहीं है. हैरानी की बात यह कि मंदिर का रास्ता शुरू होते ही मीट की दुकानें भी शुरू हो जाती है. उन्होंने कि 'हमारी पंचायत प्रशासन से लगाई गुहार है यहां जो भी कमियां हैं उन्हें सुचारु ढंग से पूरा किया जाए ताकि मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो. 

गौरतलब है कि आज चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी को विज्ञान अविष्कार की देवी माना जाता है. आज हिमाचल प्रदेश के सभी मंदिरों में विधिवत पूजा पाठ की जा रही है. वहीं, मां को प्रसन्न करने के लिए मंदिरों में पाठ, आरती और मंत्र उच्चारण किए जा रहे हैं. 

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