विश्व साक्षरता दिवसः काबिल नहीं थे तो छोड़ दिया था शिक्षा बोर्ड का ये पद, 73 साल की उम्र में तीसरी बार दी MA परीक्षा
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विश्व साक्षरता दिवसः काबिल नहीं थे तो छोड़ दिया था शिक्षा बोर्ड का ये पद, 73 साल की उम्र में तीसरी बार दी MA परीक्षा

हर साल की तरह इस साल भी विश्व साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. 1965 में सितंबर के महीने में ईरान की राजधानी तेहरान में सभी देशों के शिक्षा मंत्री एकत्र हुए थे.

विश्व साक्षरता दिवसः काबिल नहीं थे तो छोड़ दिया था शिक्षा बोर्ड का ये पद, 73 साल की उम्र में तीसरी बार दी MA परीक्षा

नई दिल्लीः हर साल की तरह इस साल भी विश्व साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. 1965 में सितंबर के महीने में ईरान की राजधानी तेहरान में सभी देशों के शिक्षा मंत्री एकत्र हुए थे. इस दौरान साक्षरता के महत्व पर चर्चा की गई. इसके बाद से 1966 में संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस को हमेशा के लिए घोषित कर दिया गया.

लेकिन, पिछले 2 सालों से दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. कोरोना काल की वजह से शिक्षा और साक्षरता में कई तरह की परेशानियां आईं, जैसे- लॉकडाउन की वजह से स्कूलों में ताला लग गया. तो चलिए आज जानते हैं ऐसे शख्स के बारे में, जिसने शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन बनने के बाद 10वीं पास न होने के कारण दे दिया था इस्तीफा.

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ऐसा ही कमाल गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह व पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर ने कर दिखाया है. बता दें कि विधायक ईश्वर सिंह ने पिछले दिनों 73 साल की उम्र में फर्स्ट डिवीजन से MA (पॉलिटिकल साइंस) की प्रथम वर्ष की परीक्षा पास की है. तो वहीं, पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर ने बचपन में पढ़ाई छोड़ने के बाद 38 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा में पास की है.

बताते चले कि विधायक ईश्वर सिंह अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं और उनका कहना है कि शिक्षा अनमोल रत्न है, जब वे राज्यसभा सांसद बने तो उन्हें पता लगा कि शिक्षा की बदौलत ही वे इस पद तक पहुंच पाए. यदि वे आगे नहीं पढ़ते तो कभी राज्यसभा सांसद नहीं बन पाते.

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