किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- 'विरोध का अधिकार, लेकिन ट्रैफिक नहीं रोक सकते'
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किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- 'विरोध का अधिकार, लेकिन ट्रैफिक नहीं रोक सकते'

केंद्र सरकार की तरफ से पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्ड पर किसानों का प्रदर्शन पिछले काफी वक्त से जारी है. 

किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- 'विरोध का अधिकार, लेकिन ट्रैफिक नहीं रोक सकते'

नई दिल्ली केंद्र सरकार की तरफ से पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्ड पर किसानों का प्रदर्शन पिछले काफी वक्त से जारी है. इतना ही नहीं हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर भी किसान लगातार धरने पर बैठे हैं. लंबे वक्त से चला आ रहा किसान आंदोलन की वजह से कई जगह रोड को बंद करना पड़ा या फिर उन्हें डायवर्ट किया गया है. लेकिन, अब इस मुद्दे पर सोमवार यानी की आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जल्द इस मुद्दे का हल निकालने के लिए कहा है.  

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ल्द समाधान निकालने के निर्देश- SC

खबरों की मानें तो नोएडा के एक निवासी ने सड़क जाम होने की वजह से होनी वाली दिक्कतों की वजह से किसान आंदोलन के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी और अब इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि ‘हमने राज्य सरकार की ओर से दाखिल शपथ पत्र देखा है, आप समाधान क्यों नहीं कर सकते, उनके पास विरोध करने का अधिकार है. लेकिन, ट्रैफिक को बाधित नहीं किया जा सकता.’

अदालत ने आगे कहा कि ‘केंद्र सरकार को जल्द ही इस मामले का कोई हल निकालना होगा.’ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की गैरमौजूदगी के चलते केस की सुनवाई को टाल दिया गया है और आने वाले 20 सितंबर को अगली सुनवाई होगी. बताते चले कि किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली को जोड़ने वाले सड़को खुलवाने के लिए कोर्ट में याचिका को दायर करवाया गया था.

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रोड़ जाम से परेशान लोगों

आपको बता दें कि याचिका में कहा गया कि ‘किसान आंदोलन की वजह से बंद सड़क अब परेशानियों का सबब बन चुकी है. नोएडा से दिल्ली पहुंचने के लिए जिस रास्ते पर आधे घंटे का वक्त लगता था. अब उसमें दो घंटे का वक्त लगता हैं.’ कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार और किसान दोनों पक्षों से समाधान खोजने की अपील की है,  साथ ही कहा कि ‘किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है. लेकिन, वह कहीं और भी धरने पर बैठ सकते हैं ताकि आम लोगों को परेशानी न हो सके.’

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