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विपिन शर्मा/ कैथल : सरकार लोगों के कल्याण के लिए योजनाएं लाती है, लेकिन अगर उनका लाभ आम लोगों को मिले ही नहीं तो ऐसी योजनाएं किस काम की. सरकारी योजनाओं को सही तरीके से कार्यान्वित करने का काम संबधित विभाग के अधिकारियों का होता है, लेकिन जब लापरवाही या अनदेखी हावी हो जाए तो आम लोगों को परेशानी होना स्वाभाविक है.
ऐसा ही एक मामला कैथल के गांव रसूलपुर में सामने आया है. यहां घटते जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए तीन रिचार्ज बोर लगाए गए थे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर के जिस काम के लिए इन्हें लगाया गया था, उससे कोई फायदा नहीं हो रहा.
दरअसल डार्क जोन में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए रिचार्ज बोर योजना चलाई गई थी, लेकिन रिचार्च बोर शोपीस बने हुए हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जब रिचार्ज बोर पानी ही नहीं सोख रहे हैं तो ये किस काम के लिए लगाए गए हैं.
प्रदेश में घटते भूजल स्तर को देखते हुए हरियाणा सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं. 'मेरा पानी मेरी विरासत' के तहत डार्क जोन में धान के रकबे को कम किया गया. सरकारी परिसरों और बाढ़ग्रस्त इलाकों में भूजल स्तर को लेकर नियंत्रित करने और किसानों की फसलों को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च करके रिचार्ज बोरवेल लगवाए गए.
अब ये बोरवेल न तो भूजल बचाने के काम आ रहे हैं और न ही किसानों की फसलों को बचाने के लिए कारगर हैं.
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समस्या की अनदेखी से परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो लाती है पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार की अच्छी मंशा भी खराब लगने लगती है. रिचार्ज बोर काम नहीं कर रहे है. यह केवल आम आदमी की जेब से टैक्स के रूप में काटे गए पैसे की बर्बादी है.
लीपापोती करते नजर आए एक्सईएन
इस संबंध में जब सिंचाई विभाग के एक्सईएन प्रशांत कुमार से पूछा गया तो वे लीपापोती करते नजर आए. उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक-ठाक है. मामला संज्ञान में आया है. जांच के लिए अधिकारियों को मौके पर भेजा गया है. सफाई करवाई जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा। इसके लिए मैंने जिम्मेदार अधिकारियों की ड्यूटी भी लगा दी है. अब देखना यह है कि यह शोपीस बने रिचार्ज बोर कब काम करते हैं