नई दिल्लीः पाकिस्तान ने विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के भारत के आमंत्रण पर अभी फैसला नहीं किया है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. सभी एससीओ सदस्यों के मई में विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने की उम्मीद है, जिसकी मेजबानी भारत करेगा. भारत 2022-2023 में एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है.
बिलावल आएंगे या नहीं, अभी फैसला नहीं
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि आमंत्रण पत्र प्राप्त हो गया है लेकिन विदेश मंत्री भारत की यात्रा करेंगे या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ‘पीटीआई’ ने विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच को एक टेक्स्ट संदेश भेजकर पूछा कि क्या उनका कार्यालय इस मामले पर एक बयान जारी करेगा, उन्होंने जवाब दिया ‘‘नहीं.’
एससीओ में 8 देश हैं शामिल
जून 2001 में शंघाई में स्थापित एससीओ के आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें इसके छह संस्थापक सदस्य, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए. यह पहली बार है कि भारत को एससीओ की मेजबानी का अवसर मिला है.
12 साल बाद होगा दौरा
यदि आमंत्रण स्वीकार किया जाता है, तो 2011 में हिना रब्बानी खार के बाद से किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा होगी. खार वर्तमान में विदेश राज्य मंत्री हैं. यह आमंत्रण प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत के लिए आह्वान वाले एक साक्षात्कार के कुछ दिनों बाद आया जिन्होंने स्पष्ट किया कि ‘‘पांच अगस्त 2019 के फैसले’’ पलटे जाने तक वार्ता नहीं होगी.
अगर बिलावल की यात्रा होती है, तो उनकी यात्रा सवालों के घेरे में होगी क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी ‘अशोभनीय’ टिप्पणी को लेकर भारत में विरोध प्रदर्शन किए गए थे.
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