Chinese Business: चीनियों के प्रिय कारोबारी रहे Jack Ma के पीछे पड़ी है जिनपिंग सरकार

चीन की सरकार ने जैक मा के खिलाफ जांच के आदेश देकर ये साबित कर दिया है कि जब तक चीनी सरकार को किसी बिजनेसमैन लाभ होगा तभी तक उसे छूट मिलेगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 26, 2020, 07:19 PM IST
  • Jack Ma के खिलाफ चीन में बदली जनभावना
  • चीनी जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश
  • चीन में गरीबी और अमीरी के बीच बड़ा अंतर
Chinese Business: चीनियों के प्रिय कारोबारी रहे Jack Ma के पीछे पड़ी है जिनपिंग सरकार

नई दिल्ली: चीन की हर मुद्दे पर पलटने की आदत बहुत पुरानी है. आतंकवाद से लेकर विस्तारवाद तक हर मुद्दे पर चीन वैश्विक समुदाय के सामने एक्पोज होता रहता है. चर्चित उद्योगपति जैक मा (Jack Ma) पर चीनी सरकार पहले बहुत फिदा थी लेकिन अब उसके रुख में बदलाव आ गया है. चीन की सरकार ने जैक मा के खिलाफ जांच के आदेश देकर ये साबित कर दिया है कि जब तक चीनी सरकार को किसी बिजनेसमैन लाभ होगा तभी तक उसे छूट मिलेगी.

Jack Ma के खिलाफ चीन में बदली जनभावना

चीन में जैक मा का बहुत विस्तृत और बहुत बड़ा कारोबार है. उनके स्वामित्व वाली अलीबाबा और एंट ग्रुप का विस्तार दुनियाभर में है. चीनी मीडिया के मुताबिक वित्तीय नियामक की ओर से अलीबाबा से जुड़े एंट ग्रुप के साथ बैठक की जाएगी.

एंट ग्रुप चीनी अलीबाबा समूह की एक संबद्ध कंपनी है. इस मामले में एंट ग्रुप ने कहा कि नियामकों की ओर से उसे नोटिस मिला है और इसका गंभीरता से अध्ययन किया जाएगा. चीन में जिनपिंग सरकार Jack Ma के खिलाफ जांच करके निजी उद्देश्यों की पूर्ति करने की फिराक में है.

चीनी जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश

आपको बता दें कि चीन के आम नागरिकों में सरकार के खिलाफ भी नाराजगी बढ़ रही है. चीन में उन लोगों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें लगता है कि अब देश में जैक मा जैसी सफलता पाने का अवसर नहीं मिल पाएंगे. जैक मा की कंपनियों पर हुई कार्रवाई से चीन में एक बहुत बड़ा वर्ग जिनपिंग सरकार के खिलाफ आक्रोशित है.

 

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जैक मा के कारोबार से चीनी अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूती मिलती थी लेकिन अब सरकार उन पर सख्ती करके उनके उद्योग को चोट पहुंचाने में लगी है.

चीन में गरीबी और अमीरी के बीच बड़ा अंतर

आपको बता दें कि चीनियों में सरकार और धनाढ्य वर्ग के प्रति गुस्से की एक वजह यह भी है कि वहां खरबपतियों की संख्या अमेरिका और भारत के कुल खरबपतियों की संयुक्त संख्या से भी ज्यादा है. लेकिन, चीन में 60 करोड़ आबादी की मासिक आमदनी 150 डॉलर या इससे भी कम है. इससे साफ पता चलता है कि चीन में गरीबों और अमीरों के बीच बहुत बड़ा अंतर है जिसके लिए सिर्फ चीनी सरकार जिम्मेदार है.

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