NATO में शामिल होने के लिए स्वीडन और फिनलैंड की परेशानी होगी दूर, अमेरिका ने किया ये वादा

अमेरिका ने कहा है कि स्वीडन, फिनलैंड को नाटो में शामिल करने में तुर्की की आपत्तियों को दूर किया जाएगा. ऐसे में माना जा रहा है कि तुर्की की आपत्तियों को दूर करने में अमेरिका इन दोनों देशों की संभव हर मदद करने की तैयारी में है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 28, 2022, 12:02 PM IST
  • स्वीडन और फिनलैंड की मुश्किलें अमेरिका ऐसे करेगा दूर
  • नाटो में शामिल करने में तुर्की की आपत्तियों का होगा समाधान
NATO में शामिल होने के लिए स्वीडन और फिनलैंड की परेशानी होगी दूर, अमेरिका ने किया ये वादा

नई दिल्ली: अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्वीडन और फिनलैंड के उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने को लेकर तुर्की की जो आपत्तियां हैं उन्हें जल्द ही दूर कर लिया जाएगा.

अमेरिका दौरे पर हैं फिनलैंड के विदेश मंत्री

फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो अमेरिका की यात्रा पर हैं और ब्लिंकन ने हाविस्तो के साथ यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि अमेरिका को ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता कि तुर्की की आपत्तियां दूर नहीं की जा सकतीं.

दरअसल, तुर्की के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा था कि तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन की सदस्यता को समर्थन दे इससे पहले दोनों देशों को ठोस कदम उठाने होंगे.

फिनलैंड और स्वीडन के साथ खड़ा है अमेरिका

ब्लिंकन ने कहा, 'फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने का अमेरिका पूरा समर्थन करता है और मुझे पूरी उम्मीद है कि दोनों जल्द ही नाटो के सदस्य होंगे. हमें आशा है कि हम जल्द यह बता पाएंगे कि फिनलैंड और स्वीडन हमारे सहयोगी हैं.'

वहीं, हाविस्तो ने कहा कि उनके देश और स्वीडन ने तुर्की के साथ बातचीत की है और ये बातचीत जारी रहेगी और कोशिश की जाएगी कि जून के अंत में मैड्रिड में होने वाले नाटो शिखर सम्मलेन से पहले मामले को सुलझा लिया जाए.

उन्होंने कहा, 'हम उन बातचीत को बढ़ाने पर सहमत हुए है. हमें लगता है कि तुर्की जो मुद्दे उठा रहा है उन समस्याओं को दूर किया जा सकता है. हम उम्मीद करते हैं कि नाटो शिखर सम्मेलन से पहले कोई नतीजा निकल आएगा.'

गौरतलब है कि दोनों देशों ने नाटो में शामिल होने के लिए पिछले सप्ताह आवेदन दिया था. नाटो में शामिल होने के लिए सभी 30 सदस्य देशों का समर्थन मिलना जरूरी है, जबकि तुर्की ने इन देशों के शामिल होने पर कुछ आपत्तियां जताई हैं.'

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