होली के बाद 20 फीसदी बढ़ेंगे बिजली के दाम, इस राज्य में लोगों को लगेगा झटका

होली के बाद झारखंड वासियों को तेज झटके लगने वाले हैं. हम जिस झटके की बात कर रहे हैं, वह झटका बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर है. बताया जा रहा है कि इस राज्य में बिजली की दरें बढ़ाए जाने की तैयारी चल रही है. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Mar 7, 2023, 01:56 PM IST
  • होली के बाद झारखंडियों को लगेगा बड़ा झटका
  • जनसुनवाई के बाद लागू होगा नया वृद्धि दर
होली के बाद 20 फीसदी बढ़ेंगे बिजली के दाम, इस राज्य में लोगों को लगेगा झटका

नई दिल्लीः होली के बाद झारखंड वासियों को तेज झटके लगने वाले हैं. हम जिस झटके की बात कर रहे हैं, वह झटका बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर है. बताया जा रहा है कि इस राज्य में बिजली की दरें बढ़ाए जाने की तैयारी चल रही है. 

होली के बाद झारखंडियों को लगेगा बड़ा झटका
साथ ही झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने बिजली की कीमतों में 20 फीसदी तक की वृद्धि का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत भी कर दिया है. 

जनसुनवाई के बाद लागू होगा नया वृद्धि दर
आयोग ने इस प्रस्ताव का अध्ययन कर लिया है और इसी महीने के आखिरी तक इसे लेकर विभिन्न प्रमंडलों में जनसुनवाई का आयोजन किया जाएगा. जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोग नई दरों का अंतिम निर्धारण करेगा.

अप्रैल माह से प्रभावी होंगी नई दरें
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, नई दरें आगामी अप्रैल माह से प्रभावी होंगी. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने नई दरों को लेकर जो प्रस्ताव दिया है, वह वर्ष 2023-24 के लिए है. इस प्रस्ताव में बिजली वितरण निगम ने 7400 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है और इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जरूरत बताई है.

2020-2021 में 2200 करोड़ रुपये का लगा घाटा
वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व रिपोर्ट (ARR) दाखिल की है. इसके मुताबिक निगम को 2020-2021 में 2200 करोड़, 2021-2022 में 2600 करोड़ और 2022-2023 में 2500 करोड़ का घाटा बताया गया है.

पिछले तीन वर्षों में नहीं की गई है बिजली दर में वृद्धि
निगम ने यह भी तर्क दिया है कि पिछले तीन वर्षों से बिजली की दरों में वृद्धि नहीं की गई है, इस वजह से घाटे की रकम में इजाफा हो रहा है. कोरोना काल में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की थी. विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष और दोनों सदस्यों के पद खाली थे. इसलिए भी बिजली की दरों के रिवीजन पर विचार नहीं किया जा सका.JBVNL की ओर से आयोग के समक्ष दाखिल टैरिफ पिटीशन में खर्च के लिए 9000 करोड़ की संभावित जरूरत बतायी गयी है.

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