ईशान की पारी के बाद BCCI अधिकारी का बयान- 'हम जनता की भावनाएं नहीं अपना विवेक देखते हैं'

तीन जनवरी से एक फरवरी के बीच भारत 29 दिनों के अंतराल में सीमित ओवरों के 12 मैच खेलेगा. इसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ छह और श्रीलंका के खिलाफ छह मैच शामिल हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 11, 2022, 04:49 PM IST
  • टीम भुगत रही उम्रदराज खिलाड़ियों को रखने का खामियाजा
  • कभी जनता की भावनाओं के अनुसार काम नहीं करती BCCI
ईशान की पारी के बाद BCCI अधिकारी का बयान- 'हम जनता की भावनाएं नहीं अपना विवेक देखते हैं'

नई दिल्ली: बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में इशान किशन दोहरा शतक लगाकर सलामी बल्लेबाज के तौर पर एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरे है और भारतीय टीम की नयी चयन समिति के गठन के बाद पिछले कुछ समय से खराब लय में चल रहे अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन के भविष्य को लेकर चर्चा की जायेगी. धवन ने अपने पिछले नौ वनडे में से आठ में बुरी तरह संघर्ष किया है. 

ईशान की वजह से धवन का भविष्य अधर में

दिल्ली का यह बाएं हाथ का बल्लेबाज पावर प्ले के ओवरों में धीमी बल्लेबाजी कर रहा है जो टीम के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.  टी20 के युग में शुभमन गिल और इशान की आक्रामक बल्लेबाजी के सामने पिछले कुछ समय से धवन फीके नजर आये है. बांग्लादेश में एकदिवसीय श्रृंखला गंवाने के बाद बीसीसीआई टीम के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक करेगा.

इसमें मुख्य कोच द्रविड़ और एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण के साथ भविष्य के खाके पर चर्चा होगी. पीटीआई-भाषा ने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के दौरान बोर्ड के एक विश्वसनीय सूत्र के हवाले रिपोर्ट किया  था कि अनुभवी खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने की प्रक्रिया अगले साल से शुरू होगी. 

लगातार गिर रहा धवन का स्ट्राइक रेट

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि शिखर के भविष्य पर फैसला नयी चयन समिति के गठन के बाद ही होगा. लेकिन इस मामले में मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा के विचारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. शिखर धवन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह आ रही कि वह पारी की शुरुआत में तेजी से रन नहीं बना पा रहे है. 2019 विश्व कप से पहले उनका स्ट्राइक रेट 100 से अधिक का हुआ करता था जबकि 2022 में उनका स्ट्राइक रेट 75 का है. इशान किशन के दोहरे शतक और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने टीम को वह आक्रामक रवैया दिया जिसकी उसे जरूरत थी. उनकी इस पारी के बाद टीम प्रबंधन चयन मामलों पर विचार करने पर मजबूर होगा. 

गिल के प्रदर्शन से भी मैनेजमेंट खुश

ऐसे खिलाड़ी को बाहर करना आसान नहीं है जिसने 167 एकदिवसीय मैच खेले हैं. वह मौजूदा टीम में रोहित (9454) और विराट कोहली (12471) के बाद भारत के तीसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी है. उनके नाम इस प्रारूप में 6793 रन दर्ज हैं. इस मामले में दूसरा विचार यह है कि धवन को श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ जनवरी में कम से कम  छह एकदिवसीय मैचों में मौका दिया जाना चाहिये और फिर प्रदर्शन के आधार पर मार्च के अंत में होने वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला पर फैसला किया जाना चाहिये. इस मामले में शुभमन गिल को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. गिल पिछले छह महीने में भारत के सबसे निरंतर प्रदर्शन करने वाले एकदिवसीय बल्लेबाज रहे हैं. 

टीम भुगत रही उम्रदराज खिलाड़ियों को रखने का खामियाजा

कुछ अजीब कारणों से चेतन शर्मा की अगुवाई वाली निवर्तमान समिति ने गिल को बांग्लादेश वनडे से आराम देने का फैसला किया. वह टी20 एशिया कप या विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं थे. इसके बावजूद इस युवा बल्लेबाज को विश्राम देने का फैसला समझ से परे रहा. जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट के बाद भारत ने लंबे प्रारूप का कोई मैच भी नहीं खेला है. 

जब गिल और किशन जैसे बल्लेबाज टीम में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देर तक बाहर रखना मुश्किल होगा. टीम को धवन, रोहित और कोहली जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों को एक ही एकदिवसीय एकादश रखने का खामियाजा उठाना पड़ रहा है. यह वैसे ही है जैसे रोहित, लोकेश राहुल और कोहली टी20 अंतरराष्ट्रीय में शीर्ष तीन के बल्लेबाज हैं. कोहली पिछले कुछ समय से आक्रामक बल्लेबाजी की जगह एक छोर संभाले रखने को पसंद कर रहे हैं. ऐसे में दूसरे छोर के बल्लेबाज पर तेजी से रन बनाने का दबाव रहता है. 

रोहित और पांड्या में कप्तानी को लेकर रेस जारी

पिछले कुछ समय से रोहित भी आक्रामक बल्लेबाजी करने में विफल रहे है. धवन के लिए एक और समस्या यह है कि वह सिर्फ एकदिवसीय प्रारूप में खेल रहे है. पिछले चार साल में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी ज्यादा मैच नहीं खेले है. भारतीय टीम के एक पूर्व चयनकर्ता ने कहा, ‘‘ खेल के समय का कोई विकल्प नहीं है. क्या आपके कहने का मतलब है कि शिखर जनवरी के मध्य में अगले एक महीने तक बिना किसी मैच अभ्यास के वनडे खेलना शुरू करेंगे. यहां तक कि सूर्यकुमार यादव जैसा बल्लेबाज भी लय में रहने के लिए मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी मैच खेलने के लिए प्रतिबद्ध है.’’ 

भारतीय टीम का अगला कैलेंडर साल काफी व्यस्त है जिसकी शुरुआत तीन जनवरी को घरेलू श्रृंखला से होगी. टी20 अंतरराष्ट्रीय में कप्तान के रूप में रोहित के भविष्य और हार्दिक पांड्या के उत्थान पर बहुत उत्सुकता है. बीसीसीआई जनता की भावनाओं की जगह खुद के विवेक पर फैसला करता है ऐसे में फिलहाल हर प्रारूप में कप्तानी की बागडोर रोहित के पास ही रहती दिख रही है.  

कभी जनता की भावनाओं के अनुसार काम नहीं करती BCCI

तीन जनवरी से एक फरवरी के बीच भारत 29 दिनों के अंतराल में सीमित ओवरों के 12 मैच खेलेगा. इसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ छह और श्रीलंका के खिलाफ छह मैच शामिल हैं. इस दौरान एकदिवसीय टीम में ऐसे खिलाड़ी हो सकते हैं जो टीम प्रबंधन को लगता है कि 2023 विश्व कप का हिस्सा होंगे. बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘‘आपको रोहित को टी20 कप्तानी से हटाने की जरूरत क्यों है?

क्या 2023 में टी20 अंतरराष्ट्रीय सर्वोच्च प्राथमिकता हैं? नहीं. बीसीसीआई ने कभी भी जनता की भावनाओं के अनुसार काम नहीं किया. इसकी अपनी कार्यशैली है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हां आप, रोहित, विराट और लोकेश राहुल को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय और टेस्ट श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कह सकते हैं जो इस समय अधिक महत्वपूर्ण हैं और हार्दिक को छह टी20 मैचों में नेतृत्व करने दें.’’ 

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