Haridwar Mahakumbh 2021: जानिए, कैसे तय होता है कहां आयोजित होना है कुंभ

कुंभ मेला (Kumbh mela)  हर साल सिर्फ यूं ही नहीं आयोजित होता है. इसके आयोजन का आधार बहुत बड़ी खगोलीय चाल और ग्रहों की गति है. नक्षत्र और राशियां यह निर्धारित करती हैं कि चार निश्चित स्थानों में से किस स्थान पर Kumbh का आयोजन होना है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 3, 2021, 06:33 AM IST
  • जब कुंभ राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब यह पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है
  • प्रयाग कुंभ का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर आयोजित किया जाता है
  • 12 वर्षों में एक बार सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर में आयोजित होता है
Haridwar Mahakumbh 2021: जानिए, कैसे तय होता है कहां आयोजित होना है कुंभ

नई दिल्लीः January 2021 में 14 तारीख से Mahakumbh मेले का आयोजन होने जा रहा है. हरिद्वार में पतित पावनी मां गंगा की बहती कल-कल धाराओं के किनारे श्रद्धा से लाखों सिर झुकते हैं. धरती से आकाश के बीच हर-हर गंगे का उठने वाला महाघोष समाज की ओर से यह घोषणा करता है कि हम सब एक हैं.

यही वह परंपरा है, जहां से वसुधैव कुटुम्बकम् का मंत्र सारी दुनिया में गूंजा. आस्था और आध्यात्म का यह विश्व का सबसे बड़ा जमघट है. जिसे कुंभ मेले (Kumbh mela) के तौर पर जाना जाता है. 

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कुंभ मेला (Kumbh mela) हर साल सिर्फ यूं ही नहीं आयोजित होता है. इसके आयोजन का आधार बहुत बड़ी खगोलीय चाल और ग्रहों की गति है. नक्षत्र और राशियां यह निर्धारित करती हैं कि चार निश्चित स्थानों में से किस स्थान पर कुंभ (Kumbh mela) का आयोजन होना है.

यह चार स्थान हैं हरिद्वार में गंगा तट,  प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम तट, नासिक में गोदावरी तट और उज्जैन में क्षिप्रा नदी का तट. प्राचीन काल से यह चारों स्थान संस्कृतियों के केंद्र रहे हैं. 
 
ऐसे आयोजित होता है कुंभ
कुंभ मेले  (Kumbh mela) का आयोजन इन चारों में से किस स्थान पर होना है. इसका निर्धारण राशियों की स्थिति करती है. कुंभ के योग बनने के लिए सूर्य और बृहस्पति की गति राशिय़ों की स्थिति का निर्धारण करती है.

जब सूर्य और बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तभी कुंभ मेले (Kumbh mela) का आयोजन होता है. इसी आधार पर स्थान और तिथि निर्धारित की जाती है. 

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हरिद्वार में कुंभ 
हरिद्वार के कुंभ का संबंध मेष राशि से है. जब कुंभ राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब यह पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है. हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का भी आयोजन होता है. 

प्रयाग में कुंभ
प्रयाग कुंभ का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर आयोजित किया जाता है. जब बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य मकर राशि में तब कुंभ मेले (Kumbh mela) का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है.

इसे लेकर एक अन्य मान्यता भी है कि, मेष राशि के चक्र में बृहस्पति एवं सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में प्रवेश करने पर अमावस्या के दिन कुंभ का पर्व प्रयाग में आयोजित किया जाता है. 

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नासिक में कुंभ
12 वर्षों में एक बार सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर में आयोजित होता है. सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुंभ पर्व गोदावरी के तट पर नासिक में होता है. अमावस्या के दिन बृहस्पति, सूर्य एवं चन्द्र के कर्क राशि में प्रवेश होने पर भी कुंभ पर्व  (Kumbh mela) गोदावरी तट पर आयोजित होता है. 

उज्जैन में कुंभ
सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर यह कुंभ पर्व (Kumbh mela)  उज्जैन में होता है. इसके अलावा कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र के साथ होने पर एवं बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश होने पर कुंभ उज्जैन में आयोजित होता है. इसे मोक्षदायक कुंभ कहते हैं. यह दीपावली के दिन पड़ने वाला विशेष स्नान विधान है. 

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