उत्तराखंडः चुनाव से पहले कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने क्यों बीजेपी को झटका देकर थामा कांग्रेस का दामन?

दरअसल यशपाल आर्य उत्तराखंड में बड़ा दलित चेहरा हैं और चुनावी मौसम में यशपाल के पाला बदलने से कहीं न कहीं बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.  

Written by - Shalini Tiwari | Last Updated : Oct 12, 2021, 04:36 PM IST
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उत्तराखंडः चुनाव से पहले कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने क्यों बीजेपी को झटका देकर थामा कांग्रेस का दामन?

नई दिल्लीः उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में 5 महीने से भी कम का वक्त बचा है. चुनावी मौसम में नेताओं का दल बदल का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है. 70 सदस्यीय विधानसभा में 60 प्लस सीटें जीतने का टारगेट लेकर चल रही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बड़ा झटका दिया है.

कैबिनेट मंत्री ने थामा हाथ का साथ
राज्य की धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री और पुराने कांग्रेसी रहे यशपाल आर्य ने अबने विधायक बेटे संजीव आर्य के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है. यशपाल आर्य की इस घर वापसी से जहां कांग्रेस खेमा उत्साहित है तो वहीं उत्तराखंड बीजेपी के लिए ये एक झटके की तरह है.

यशपाल बड़ा दलित चेहरा हैं
दरअसल यशपाल आर्य उत्तराखंड में बड़ा दलित चेहरा हैं और चुनावी मौसम में यशपाल के पाला बदलने से कहीं न कहीं बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. यशपाल तराई की बाजपुर विधानसभा से न सिर्फ खुद विधायक हैं बल्कि पहाड़ी सीट नैनीताल से उनके बेटे संजीव आर्य भी एमएलए हैं. यशपाल और संजीव आर्य के कांग्रेस में घर वापसी से कम से कम दो सीटों पर कांग्रेस को फायदा हो सकता है, साथ ही दलित वोट बैंक भी कुछ हद तक कांग्रेस की ओर झुक सकता है.

इसलिए छोड़ा बीजेपी का दामन
सवाल ये है कि क्या कांग्रेस में शामिल होने के बाद यशपाल ने जैसा कहा कि बीजेपी में वे अहसहज महसूस कर रहे थे और कांग्रेस में आना उनकी घर वापसी है, वाकई में क्या ऐसा है, या इसके पीछे की वजह कुछ और भी रही. अगर वजह खंगालने की कोशिश करें तो इसके लिए आपको ज्यादा पीछे जाने की जरुरत नहीं है. कुछ दिन पहले की कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान उत्तराखंड में कांग्रेस चुनाव समिति के चैयरमेन हरीश रावत ने दलित सीएम को लेकर एक बयान दिया था. हरीश ने कहा था कि उनकी इच्छा है कि वे किसी दलित को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

बीजेपी को भी थी भनक
 15 सितंबर 2021 को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस बयान पर इसे वोट के लिए दिया गया बयान तक कहा गया था. इस बयान के 25 दिन बाद यशपाल आर्य के पाला बदलने से इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. क्या यशपाल का कांग्रेस का झंडा थामना इसकी ही एक कड़ी है ? ऐसा नहीं है कि यशपाल की नाराजगी और पाला बदलने की भनक बीजेपी को नहीं थी. यशपाल पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही कोप भवन में थे और 15 दिन पहले (25 सितंबर 2021) को धामी सुबह-सुबह नाश्ते पर यशपाल आर्य के घर पहुंच गए थे. तब भी खबरें थी कि धामी कोप भवन में चल रहे यशपाल आर्य को मनाने के लिए पहुंचे थे.  

यशपाल आर्य भले ही कितना कहें कि बीजेपी में उन्हें घुटन हो रही थी, कांग्रेस में उनकी घर वापसी हुई है औऱ इसका मकसद सिर्फ कांग्रेस को मजबूत करना है लेकिन चुनावी साल में ये बात आसानी से गले नहीं उतरती.  बहरहाल 2017 में चुनाव से ऐन पहले पाला बदलने वाले यशपाल आर्य का अब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलना अवसरवादिता न कहा जाए तो और क्या कहा जाए.  

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