दिल्ली: भारत में मुगल सल्तनत के बाद अंग्रेजों का कालखंड शुरू हुआ. अंग्रेजों के शासन में भारत को राजनीतिक और आर्थिक रूप से गुलाम करने और भारतीयों पर अत्याचार करने की शासन प्रथा मुगलों की तरह ही चल रही थी. कालांतर में भारत को अंग्रेजों से छुटकारा मिला और स्वाधीन भारत को अपना लोकतंत्र प्राप्त हुआ. सर्वविदित है कि अंग्रेजों से आजादी मिलने में भारतीयों को बहुत संघर्ष करना पड़ा. कई लोग ऐसे भी हैं जो भारतीय स्वाधीनता की लड़ाई में महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन के योगदान को नकारते हैं और इसका श्रेय सुभाष चंद्र बोस और अन्य कई महापुरुषों को देते हैं.
ब्रिटेन की न्यायपालिका में अहम सबूत अब भी मौजूद
जब भारत को आजादी मिली, उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली थे. एटली 1945 से 1951 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने. भारत से ब्रिटिश शासन को समाप्त करने पर ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके वहां के लोगों ने सवाल किया कि जब हम द्वितीय विश्वयुद्ध जीत चुके थे तो उस समय भारत को आजाद करने की क्या जरूरत थी. ब्रिटेन के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली से पूछा कि आखिर आपने भारत क्यों छोड़ा? आप दूसरा विश्वयुद्ध जीत चुके थे. 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन फ्लॉप हो चुका था, फिर आपने भारत को अचानक स्वतंत्र करने का फैसला क्यों किया ?
ब्रिटिश पीएम ने बताया था भारत की आजादी का प्रमुख कारण
मुख्य न्यायाधीश के इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली ने कहा कि 25 लाख भारतीय सैनिक द्वितीय विश्वयुद्ध जीतकर लौट रहे थे. इस बीच कराची नेवल बेस, जबलपुर, आसनसोल जैसी की जगहों पर से सैनिक विद्रोह की खबरें आ रहीं थी. सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज लगातार ब्रिटेन सेना पर दबाव बढ़ा रही थी. एटली ने आगे कहा कि 'हम जान गए थे कि अब ज्यादा दिनों तक भारत पर कब्जा बनाए रखना मुश्किल है. ये सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व का प्रभाव था कि भारत में लोग राष्ट्रीय अस्मिता और राष्ट्र के स्वाभिमान को लेकर उग्र हो रहे थे. अगर हम भारत को न छोड़ते तो सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में बड़ा आंदोलन हो सकता था जो ब्रिटेन को बहुत नुकसान पहुंचाता. अगर महात्मा गांधी की तरह अहिंसक आंदोलन होता रहता तो हम पर असर नहीं होता क्योंकि
ब्रिटिश पीएम क्लिमैण्ट रिचर्ड एटली की ये बातें साबित करती हैं कि देश कई सच्चे तथ्यों से अब तक गुमराह किया गया और उन महान लोगों के ऐतिहासिक योगदान को भुला दिया गया जिन्होंने सच में देश को आजाद कराने में अविस्मरणीय भमिका निभाई थी.
अनंत हेगड़े ने महात्मा गांधी के योगदान को नकारा
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने कहा था कि जो लोग कांग्रेस का समर्थन करते हैं, वे यही कहते हैं कि भारत को आजादी भूख हड़ताल और सत्याग्रह से मिली. यह सच नहीं है. अंग्रेजों ने देश को सत्याग्रह की वजह से नहीं छोड़ा, बल्कि इसके पीछे कई अन्य महापुरुषों का योगदान था. अनंत हेगड़े का ये बयान महात्मा गांधी के योगदान को नकारने के लिये दिया गया है लेकिन उनके अहिंसक आंदोलन को सिरे से खारिज करना न्यायसंगत नहीं है.
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