गेस्ट हाउस कांड से बहुत पहले होने वाली थी मायावती की हत्या, इस तरह बची थी जान

बसपा सुप्रीमो मायावती का आज जन्मदिन है. जानिए उनकी जिंदगी का वो अनसुना किस्सा, जब उनकी हत्या होने वाली थी.  

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Jan 15, 2022, 06:56 AM IST
  • यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती
  • सूबे की पहली दलित महिला सीएम भी बनीं
गेस्ट हाउस कांड से बहुत पहले होने वाली थी मायावती की हत्या, इस तरह बची थी जान

नई दिल्लीः मायावती, राष्ट्रीय राजनीति में एक ऐसा नाम जिसने देश के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया. वह भी एक या दो नहीं, बल्कि चार बार. वह यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं.

मगर, इस कुर्सी तक पहुंचने की मायावती की राह बिल्कुल आसान नहीं थी. कभी उन्हें अपने घर में अपने पिता से लड़ना पड़ा तो कभी राजनीति के मैदान में अपने सियासी विरोधियों के बीच, लेकिन वह कभी अपने रास्ते से डिगी नहीं.

कहा जाता है कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड जैसे प्रकरण के बाद तो वह और मजबूत हुईं. आज मायावती का 66वां जन्मदिन है. इस दिन हम आपको वो किस्सा बताने जा रहे हैं, जब मायावती की जान पर बन आई है.

सरवर हुसैन ने बताया था किस्सा

मायावती के करीबी रहे सरवर हुसैन ने एक बार इस किस्से का जिक्र किया था. सरवर हुसैन का परिवार इलाहाबाद के नैनी थाना क्षेत्र में बीड़ी वाली गली में रहता है. कहा जाता है कि मायावती के सियासी सफर के शुरुआती दिनों में ये उनके काफी करीब था. सरवर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं हैं.

बुलंदशहर में डीएम से हुई थी छीनाझपटी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरवर हुसैन ने बताया था कि मायावती का बुलंदशहर में विवाद हो गया था. मायावती और डीएम के बीच मतपत्र देखने के लिए छीनाझपटी हुई थी. इसके बाद मायावती को बुलंदशहर से इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल लाया गया था.

'मायावती की हत्या करने वाला था दरोगा'

बताया जाता है कि यह दिसंबर 1991 की बात है. मायावती की लखनऊ हाईकोर्ट में पेशी हुई थी. वापसी में उन्हें लखनऊ पैसेंजर से इलाहाबाद लाया जा रहा था.

सरवर हुसैन के मुताबिक, सुबह 4:30 बजे ट्रेन प्रयाग स्टेशन पहुंची. साथ में आए दरोगा ने नीचे चलने को कहा. तभी उसने मायावती की हत्या के इरादे से रिवॉल्वर निकाली. इस दौरान सरवर हुसैन भी साथ थे.

'मायावती ने लोगों को आवाज लगाने को कहा'

वह बताते हैं, मायावती ने उनसे कहा कि सामने मस्जिद है. लोग जुटे हुए हैं. आवाज लगाओ, वरना ये हमें मार डालेगा. लेकिन, तभी ट्रेन के इसी कोच में चल रहे आर्मी वालों ने ये वाकया देखा और दरोगा को गोली नहीं चलाने की चेतावनी दी.

मायावती ने दी थी दरोगा की लिखित शिकायत

आर्मी वालों की चेतावनी से दरोगा घबरा गया और वह मायावती को रिक्शे से पुलिस लाइन ले गया. हालांकि, यहां पहुंचकर मायावती ने दरोगा के खिलाफ शिकायत की.

बताते हैं कि मायावती को इसके बाद नैनी जेल भेज दिया गया. वहां भी उन्होंने जेल सुपरिटेंडेंट को दरोगा के खिलाफ लिखित शिकायत दी थी.

बता दें कि मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी भले ही करीब 10 साल से यूपी की सत्ता से बाहर हो, लेकिन एक दौर था जब मायावती की यूपी में तूती बोलती थी.

1956 में जन्मी थीं मायावती

मायावती की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके में 15 जनवरी 1956 को हुआ था. उन्होंने 1975 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस और इकॉनोमिक्स में बीए की डिग्री हासिल की.

इसके बाद उन्होंने 1976 में मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड. किया और बतौर टीचर काम करते हुए 1983 में डीयू से एलएलबी की डिग्री भी ली.

कांशीराम के कहने पर छोड़ा घर

मायावती यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक आईएएस अफसर बनना चाहती थी और उसके लिए तैयारी भी करती थीं, लेकिन 1977 में कांशीराम के कहने पर मायावती ने अपना घर और सपना छोड़ दिया और राजनीति में एंट्री ली.

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