6 December: राम मंदिर निर्माण के लिए 28 साल पहले आज ही गिराया गया था विवादित ढांचा

राम मंदिर का निर्माण जारी है. पूरा देश बेसब्री से मंदिर बनाने का काम पूरा होने का इंतजार कर रहा है. लेकिन हिंदू अस्मिता के लिए सदियों से चले इस संघर्ष में आज यानी 6 दिसंबर के दिन की अहमियत काफी ज्यादा है. क्योंकि आज ही के दिन कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. जिसके बाद श्रीराम के पवित्र जन्मस्थान पर से मुगलिया गुलामी का कलंक धुला था.

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Dec 6, 2020, 08:05 AM IST
  • सदियों तक चला संघर्ष
  • 6 दिसंबर 1992 को हुई थी ऐतिहासिक घटना
  • श्रीराम जन्मस्थान पर बना आक्रमणकारियों का विवादित ढांचा गिराया गया
6 December: राम मंदिर निर्माण के लिए 28 साल पहले आज ही गिराया गया था विवादित ढांचा

अयोध्या: दिव्य नगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है लेकिन इस भव्य और दिव्य राम मंदिर के लिए पुरखों ने बहुत बलिदान दिया है.

6 दिसंबर 1992 को मस्जिदनुमा विवादित ढांचे का विध्वंस (Demolition) करके मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के शानदार मन्दिर के लिए जमीन की सफाई का महान काम शुरू हुआ था. इस घटना को अब भले ही 28 साल पुरानी बात हो गयी हो लेकिन जिस भव्य मंदिर का निर्माण आज सम्भव हो सका है वो इसी कलंक के मिटने का परिणाम है. मस्जिदनुमा विवादित ढांचे का विध्वंस होने से भारत की अखंड, अद्वितीय और कालजयी सनातन संस्कृति पर से इस्लामिक मुगलिया गुलामी का कलंक धुला था.

आक्रमणकारी बाबर ने किया था मस्जिद का अवैध निर्माण

आपको बता दें कि देश की सर्वोच्च अदालत भी स्वीकार कर चुकी है बाबरी मस्जिद का निर्माण हिन्दू धर्म के पवित्र स्थल का विध्वंस करके किया गया था. श्रीराम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद को 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था.  इस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपना दावा ठोंकते थे. 

सदियों तक चला संघर्ष

आपको बता दें कि 1885 से ही यह मामला अदालत में था और 1990 के दशक में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा और सभी हिंदुस्तानी एक स्वर में कलंक मस्जिदनुमा विवादित ढांचे को मिटाने के लिए आक्रोशित हो रहे थे.  6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने कलंक के प्रतीक विवादित ढांचे को तोड़ दिया. हिंदुओं को बदनाम करने के लिए इस मामले में आडवाणी, जोशी समेत कई बीजेपी नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था जो बाद में निराधार और झूठा साबित हुआ.

1949 में हुई थी ऐतिहासिक घटना

उल्लेखनीय है कि महान दैवीय प्रेरणा से 23 दिसंबर 1949 को विवादित ढांचे के केंद्रीय स्थल में भगवान राम की मूर्ति स्थापित हुईं जो घटना इस आंदोलन के इतिहास में ऐतिहासिक साबित हुई. इसके बाद 16 जनवरी 1950 को एक अपील में प्रकट हुईं  मूर्ति को विवादित स्थल से हटाने से न्यायिक रोक की मांग की गई बाबर द्वारा बनाई गई मस्जिद को ढांचा नाम दिया गया और राममूर्ति रखने के लिए मुस्लिम पक्ष द्वारा केस किया गया.

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गौरतलब है कि 17 दिसंबर 1959 को निर्मोही अखाड़ा राम मंदिर आंदोलन को मुखर करने के लिए आगे आया और विवादित स्थल के लिए मुकदमा दायर किया और इसके बाद 18 दिसंबर 1961 को सुन्नी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक के लिए केस किया.

बाबरी विध्वंस के नाम पर कांग्रेस की साजिश बेनकाब

वर्षों तक कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के नाम पर हिंदुओ को बदनाम करने की साजिश की जो CBI ने बेनकाब कर दी. CBI अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती समेत तमाम आरोपियों को ससम्मान आरोप मुक्त किया और ये टिप्पणी की थी कि साजिश के तहत इन लोगों पर आरोप लगाए गए थे और ये लोग तो लोगों को समझा रहे थे तथा विवादित स्थल से दूर ले जाने की कोशिश कर रहे थे. 

CBI अदालत ने हिन्दू पक्ष के नेताओं को किया आरोप मुक्त

इससे साफ पता चला है कि कांग्रेस ने दशकों तक राम मंदिर न बनने देने के लिए अड़ंगे लगाए और वोट बैंक की शर्मनाक सियासत की. आपको बता दें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती जैसे बीजेपी के कई दिग्गज नेता आरोपी बनाये गए थे. इनके अलावा साध्वी ऋतंभरा, राम विलास वेदांती, साक्षी महाराज, वीएचपी नेता और राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास भी केस में आरोपी बनाये गए थे लेकिन CBI कोर्ट ने सभी ससम्मान आरोप मुक्त कर दिया है.

लेकिन 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया. 

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