Karnataka: क्लर्क से लेकर दक्षिण के 'अटल' बन जाने तक की कहानी, जानिए येदियुरप्पा का सियासी सफर

येदियुरप्पा के इस फैसले को लेकर उनकी जिंदगी के कई पुराने किस्से ताजा होने लगे हैं. आइए जानते हैं बीजेपी के इस कद्दावर नेता की कहानी..  

Written by - Akash Singh | Last Updated : Jul 26, 2021, 01:44 PM IST
  • कर्नाटक में बड़ा सियासी उलटफेर
  • जानिए इस नेता के बारे में सबकुछ
Karnataka: क्लर्क से लेकर दक्षिण के 'अटल' बन जाने तक की कहानी, जानिए येदियुरप्पा का सियासी सफर

बेंगलुरूः कर्नाटक की सियासत में सोमवार को बड़ा उलटफेर हुआ. राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. राज्य में पिछले कुछ दिनों से इसकी अटकलें तेज थीं की येदियुरप्पा अपना पद छोड़ देंगे. दिल्ली में कई दिनों तक बैठकों का दौर भी चला. आखिरकार येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. अब इन बातों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है कि आखिर कर्नाटक की कमान किसे मिलेगी. लेकिन येदियुरप्पा के इस फैसले को लेकर उनकी जिंदगी के कई पुराने किस्से ताजा होने लगे हैं. आइए जानते हैं बीजेपी के इस कद्दावर नेता की कहानी..

शैव मंदिर के नाम पर हुआ नामकरण
येदियुरप्पा का जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के बुकनाकेरे गांव में हुआ. येदियुरप्पा हिंदू धर्म के लिंगायत समुदाय के हैं. कर्नाटक के तुमकुर जिले में येदियुर स्थान पर संत सिद्धलिंगेश्वर द्वारा बनाए गए शैव मंदिर के नाम पर उनका नाम रखा गया था. जब येदियुरप्पा चार साल के थे, तब ही इनकी माता की मौत हो गई थी. आज भी लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता के रूप में उनकी पहचान है.

एक क्लर्क से शुरू हुआ सफर सीएम की कुर्सी तक पहुंचा
बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के 4 बार सीएम रह चुके हैं. दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी की सियासत की हवा पहुंचाने वाले शख्स बीएस येदियुरप्पा ही थे. कर्नाटक दक्षिण का वो पहला राज्य था जहां बीजेपी ने सरकार बनाई. इसका श्रेय बीएस येदियुरप्पा को ही जाता है. इसलिए उन्हें दक्षिण का 'अटल बिहारी वाजपेयी' भी कहा जाता है. 

1965 में वे समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के क्लर्क चुए गए थे. बाद के दिनों में उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान खोली. इसके बाद वे राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे.

आरएसएस से जुड़े रहे
येदियुरप्पा अपने कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का हिस्सा रहे.उन्होंने एक सफल RSS प्रेजिडेंट के रूप में काम किया, जिसके बलबूते वह शिकारीपुरा शहर नगरपालिका के चुनाव के लिए खड़े हुए. वह शिकारीपुरा में जनसंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे. साथ ही उन्हें शिकारीपुरा शहर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया. बस यहीं से येदियुरप्पा का सियासी सफऱ शुरू हुआ.

1988 में BJP कर्नाटक के अध्यक्ष
आपातकाल के दौर में येदियुरप्पा भी उन तमाम नेताओं में थे जिन्हें गिरफ्तार किया गया था. 1988 में येदियुरप्पा भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक के अध्यक्ष बने. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका के अलावा, येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानमंडल के निचले सदन के लिए भी छह बार चुना गया. 

2004 में नेता प्रतिपक्ष रहे
1994 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद, उन्हें कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद के लिए नामित किया गया. साल 2004 में कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई और कांग्रेस के धरम सिंह मुख्यमंत्री चुने गए, इस दौरान भी येदियुरप्पा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे.

फिर बने डिप्टी सीएम
जेडीएस के कुमारस्वामी ने कांग्रेस की धरम सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई. इसके बाद 2006 में कुमारस्वामी बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री चुने गए और येदियुरप्पा उस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे. लेकिन जब गठबंधन के तहत येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया.

JDS का मिला साथ
हालांकि नवंबर 2007 में जेडीएस, येदियुरप्पा को समर्थन देने को राजी हो गई और तब दक्षिण भारत में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन उनकी सरकार 10 दिन भी नहीं चल सकी. इसके बाद साल 2008 में फिर से चुनाव कराए गए और पहली बार दक्षिण के राज्य में बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई और येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बने. इस सरकार ने पूरे पांच साल शासन किया, हालांकि येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले में लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ा और उनकी जगह 2011 में डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री पद दिया गया. 

2012 में बीजेपी से मोहभंग

येदियुरप्पा की जिंदगी में वो दौर भी आया जब बीजेपी से उनका मोहभंग हो गया और 2012 में उन्होंने बीजेपी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कर्नाटक जनता पार्टी के नाम से एक नई पार्टी बनाई. इसके बाद 2013 में येदियुरप्पा शिमोगा से एक बार फिर विधायक चुने गए. हालांकि इसी साल उन्होंने फिर से बीजेपी में वापसी का ऐलान भी कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा की पार्टी का विलय बीजेपी में हो गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिमोगा लोकसभा सीट से येदियुरप्पा को 3.5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली. बीजेपी ने साल 2016 में येदियुरप्पा को फिर से बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया.

ढाई दिन के मुख्यमंत्री
साल 2018 का विधानसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में लड़ा गया. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हो सका. सबसे बड़ा दल होने के नाते राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने दो दिन में बहुमत साबित करने का आदेश दे दिया. बहुमत न मिलता देख येदियुरप्पा ने एक भावुक भाषण देकर इस्तीफा दे दिया. वह कुल 55 घंटे तक सीएम रहे. इसके बाद राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी.

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