भारत बनाएगा कोरोना की वैक्सीन, दुनिया के हर देश में चल रही है रिसर्च

सारी दुनिया जहां कोरोना वायरस से निपटने के टीकों पर दिन रात अनुसंधान कर रही है, अभी भी कोई दवा का ये दावा सामने नहीं आ पा रहा है कि जो बता सके कि आखिर कब तक दुनिया को आखिर कोरोना की दवा मिल पाएगी. लेकिन एक बड़ी संभावना ये भी है कि दुनिया में सबसे पहले भारत में कोरोना की मेडिसिन तैयार हो सकती है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 14, 2020, 11:30 PM IST
  • पूरी दुनिया तलाश कर रही है कोरोना की दवा
  • दुनिया की 70 कंपनियां कर रही हैं रिसर्च
  • भारत की भी 4 कंपनियों तलाश कर रही हैं कोरोना की वैक्सीन
  • भारत की संभावना सबसे ज्यादा
भारत बनाएगा कोरोना की वैक्सीन, दुनिया के हर देश में चल रही है रिसर्च

नई दिल्ली. कोरोना की महामारी ने कोशिश तो पूरी कर ली थी कि दुनिया की तरह भारत को भी अपने शिकंजे में ले कर यहां भी कोहराम मचा सके, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. अब भारत कोरोना का मुकाबला करने में सक्षम देशों की सूची में आगे खड़ा है. जहा दुनिया इस सवाल को लेकर परेशान है कि आखिर कब तक मिल पाएगी कोरोना की दवा, भारत पूरी तत्परता से देश के कोरोना मरीजों की सेवा सुश्रुषा में लगा है और दवा के निर्माण की दिशा में दिन रात काम कर रहा है.

आखिर कब मिलेगा टीका?
कोरोना वायरस से आतंकित सारी दुनिया इस के इलाज के लिए रिसर्च करने में लगी है. सभी देश चाहते हैं कि एक साथ मिल कर एक लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली इस संक्रामक महामारी के इलाज के तौर पर कोई टीका तलाश कर सकें. किन्तु फिर भी इस सवाल का जवाब नदारद है कि ऐसा कोई कारगर टीका जो कोरोना से जान बचा सके, आखिर और कितनी दूर है?

ब्रिटेन में पांच से छह महीने लग सकते हैं
कोविड 19 संक्रमण का उपचार ढूंढ कर दुनिया को बचाने की कोशिश में दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिक लगे हुए हैं. किन्तु मानवता के लिए वरदान साबित होने वाले ऐसे टीके की खोज इतनी आसान कहां है. ब्रिटेन के विशेषज्ञों का दावा है कि वे सितंबर तक कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने में कामयाब हो जायेंगे.

टाइम्स मैगज़ीन ने रिपोर्ट तैयार करके बताया है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में टीकाकरण की प्रोफेसर सारा गिलबर्ट को 80 फीसदी विश्वास है कि अगले पांच महीनो में वे टीका तैयार कर लेंगे और यह टीका सफल भी होगा. गिलबर्ट ने कहा है कि लगातार कोरोना को लेकर मिल रही नई जानकारियां इस दिशा में ब्रिटिश चिकित्सा वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित हो रही है.

सत्तर कंपनियां बना रही हैं वैक्सीन
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सारी दुनिया में 70 कंपनियां और सस्थाएं वायरस के खिलाफ किसी कारगर वैक्सीन विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं. अब तक इन कंपनियों द्वारा तीन दवाओं के तो ट्रायल भी इंसानों पर शुरू किये जा चुके हैं.  गार्जियन न्यूज़ पेपर कहता है कि दुनिया भर में 80 संस्थाएं कोरोना के टीके पर काम कर रही हैं और उन्होंने पांच टीकों पर इंसानी ट्रायल भी प्रारम्भ कर दिया है.

भारत की चार कंपनियां भी बना रही हैं दवा
भारत बहुत गंभीरता से कोरोना का  की चार बायोटेक कंपनियां कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने की दिशा में जुटी हुई हैं. उदाहरण के लिए इनमें सर्वप्रमुख हैदराबाद बेस्ड इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड कम्पनी ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रही है जबकि भारत की तीन और कंपनियां  ज़ायडस कैडिल, सिरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक ने पहले से ही इस पर शोध करने में लगे हुए हैं.

भारत की संभावना सर्वाधिक
भारत में एक हज़ार से अधिक कोरोना रोगी स्वस्थ हो चुके हैं. भारत के अलग अलग अस्पतालों में एलोपैथी ही नहीं, आयुर्वेद, होमिओपैथी और यूनानी चिकित्सापद्धति की दवाइयों का भी इस्तेमाल इस जानलेवा वायरस के खिलाफ किया जा रहा है. देश में कई स्थानों से कोरोना रोगियों के ठीक होने के समाचार मिल रहे हैं. 

वैसे भी दुनिया भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवा मांग रही है और ज़ाहिर सी बात है कि यह दवा भी कोरोना के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है. 

 

 

 

 

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