नई दिल्ली. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा इस वक्त अपनी एक व्यापक कार्रवाई को लेकर देशभर में चर्चा में हैं. दरअसल असम में बाल विवाह की कुप्रथा पर हिमंत सरकार चाबुक चला रही है. राज्य सरकार की इस कार्रवाई ने देशभर में लोगों को समाज में व्याप्त इस कुरीति पर दोबारा विचार करने पर मजबूर किया है. असम की कार्रवाई इतनी व्यापक है कि अब तक 4,074 मामलों में 2,500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
शुरू हो चुका है विरोध
इस व्यापक कार्रवाई के खिलाफ राजनीतिक विरोध भी शुरू हो चुका है. यह भी आरोप लग रहे हैं कि सरकार की यह कार्रवाई एंटी-मुस्लिम है. लेकिन CM हिमंत की तरफ से साफ कर दिया गया है यह कार्रवाई आगामी विधानसभा चुनाव यानी 2026 तक चलती रहेगी. उन्होंने साफ किया कि हम किसी समुदाय को टारगेट नहीं कर रहे हैं और यह कार्रवाई पूरी तरह निष्पक्ष है.
आखिर क्यों ये कार्रवाई कर रहे हैं हिमंत
हिमंत सरकार की इस कार्रवाई के पीछे मजबूत वजह भी है. दरअसल नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक असम में 20 से 24 आयुवर्ग में 32% लड़कियों की शादी 18 की उम्र के पहले ही कर दी गई थी. यही नहीं राज्य में मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर भी ज्यादा है. इन दोनों के पीछे भी बाल विवाह को मुख्य वजह माना जा रहा है.
सामाजिक कुरीति के खिलाफ अभियान से बनी छवि
CM हिमंत की यह कार्रवाई उनकी छवि को देशभर में सकारात्मक रूप में प्रसारित कर सकती है. यह कार्रवाई बताती है कि मुख्यमंत्री बन जाने के बावजूद एक विधायक और जनप्रतिनिधि के रूप में दायित्वों को हिमंत अब भी निभा रहे हैं.
हर धर्म में वक्त के साथ सामाजिक कुरीतियां जन्म लेती हैं और प्रसार पाती हैं. हिंदू धर्म भी इससे अछूता नहीं है. कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को देश में हमेशा नैतिक रूप से ऊंचा स्थान दिया गया है. स्कूली किताबों में हमने ईश्वर चंद्र विद्यासागर से लेकर राजा राम मोहन राय के बारे में कुरीतियों से संघर्ष को लेकर खूब पढ़ा है.
इस्लामिक कट्टरपंथ की कुरीतियों पर भी कुठाराघात
ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया में इस्लामिक कट्टरपंथ से मुश्किलें पैदा हो रही हैं, हिमंत ने लगातार अल्पसंख्यक छात्रों की आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया है. विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी हिमंत लगातार अल्पसंख्यक छात्रों को आधुनिक शिक्षा देने पर जोर देते रहे हैं. चुनाव बाद इस्लामिक कट्टरपंथ के आरोपों से घिरे मदरसों पर बुल्डोजर चलाने जैसी सख्त कार्रवाई भी हुई.
अरविंद केजरीवाल से तीखी नोकझोंक
अपने राज्य के बाहर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी हिमंत की ट्विटर पर नोकझोंक हुई थी. दरअसल हिमंत न सिर्फ राज्य में अलग-अलग मुद्दों पर कार्रवाई कर सुर्खियां बटोर रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी का पक्ष रखने से नहीं चूकते हैं. चाहे इसके लिए सोशल मीडिया पर विपक्षी नेताओं से बहस की नौबत क्यों न हो!
उत्तर-पूर्व के सबसे मशहूर नेता!
वर्तमान राजनीति में देखें तो इस वक्त उत्तर-पूर्वी राज्यों से दो नेता हैं जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं. इनमें पहले हैं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू और दूसरे हिमंत बिस्व सरमा. किरेन रिजीजू पहले से केंद्रीय नेतृत्व का हिस्सा हैं. वहीं हिमंत लगातार अपनी सरकार के विभिन्न निर्णयों के कारण दिल्ली की राजनीति की चर्चा में रहते हैं. वह उत्तर पूर्व के संभवत: सबसे चर्चित नेता हैं. अब बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति पर कुठाराघात वो दोबारा सुर्खियां बना रहे हैं. यह कदम उनकी लोकप्रियता में न सिर्फ असम बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी इजाफा कर सकता है.
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