Uri Terror Attack: सोते हुए जवानों पर 3 मिनट में दागे थे 17 ग्रेनेड, फिर आर्मी ने ऐसे हाई किया जोश

Uri Terror Attack: वो 18 सितंबर 2016 की सुबह थी. उस दिन उड़ी की हवा में ताजगी जरूर थी, पर सन्नाटा भी पसरा था. इसी बीच आर्मी कैंप में एक जोरदार धमाका होता है. अभी इसकी गूंज कानों से गई भी नहीं होती है कि फिर एक धमाका होता है. 3 मिनट के अंदर 17 ग्रेनेड से आर्मी कैंप पर हमला होता है.   

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Sep 18, 2021, 08:19 AM IST
  • उड़ी आतंकी हमले को आज हुए 5 साल
  • सोते हुए जवानों पर किया था हमला
Uri Terror Attack: सोते हुए जवानों पर 3 मिनट में दागे थे 17 ग्रेनेड, फिर आर्मी ने ऐसे हाई किया जोश

नई दिल्लीः Uri Terror Attack: अभी देशवासी पठानकोट आतंकी हमले (Pathankot Terror Attack) के सदमे से ठीक तरह उबरे भी नहीं थे कि एक बार फिर दहशतगर्द कायराना हरकत करते हैं. इस बार उनके निशाने पर होता है जम्मू-कश्मीर के उड़ी में स्थित इंडियन आर्मी (Indian Army) का 12वां ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर. सीमा पार से आए आतंकी सुबह करीब 5:30 बजे आर्मी कैंप (Uri Army Camp) पर हमला करते हैं. भारतीय सेना को निशाना बनाकर किए गए इस हमले को आज ठीक 5 साल हो गए हैं. 

धमाके से टूटता है सन्नाटा
वो 18 सितंबर 2016 की सुबह थी. उस दिन उड़ी की हवा में ताजगी जरूर थी, पर सन्नाटा भी पसरा था. इसी बीच आर्मी कैंप में एक जोरदार धमाका होता है.

अभी इसकी गूंज कानों से गई भी नहीं होती है कि फिर एक धमाका होता है. जवान इससे उबर ही रहे होते हैं कि एक और गूंज सुनाई देती है. 3 मिनट के अंदर 17 ग्रेनेड से आर्मी कैंप पर हमला होता है. 

2 दशक में सबसे बड़ा हमला
हमले में आर्मी के फ्यूल डिपो में आग लग जाती है. इसमें रखे पेट्रोल, डीजल और केरोसीन से बेकाबू हुई आग 5 बिहार बटालियन (5 Bihar Battalion) के तंबुओं को अपनी चपेट में ले लेती है.

इनमें सो रहे 14 जवान शहीद हो जाते हैं. वहीं, आग से बचने के लिए कैंपों से भागते हुए 4 सैनिक आतंकियों की गोलियों का शिकार हो जाते हैं. 30 से ज्यादा जवान जख्मी भी होते हैं. लगभग 2 दशक में भारतीय सैन्यबलों पर यह सबसे बड़ा हमला था. 

हथियारों और गोला-बारूद से लैस थे आतंकी
हथियारों और गोला-बारूद से लैस 4 आतंकी तबाही मचाने के मंसूबे लेकर आए थे.

उनके पास AK-47 और आग लगाने वाले करीब 50 ग्रेनेड थे. इसीलिए रणनीति के तहत वे फ्यूल डिपो पर ग्रेनेड फेंकते हैं, ताकि आग लगने से अफरातफरी का माहौल हो और वे अपने नापाक इरादों को अंजाम दे सकें. लेकिन, जवान हमले से तेजी से संभलते हुए मोर्चा संभालते हैं. कुछ ही घंटों के भीतर चारों आतंकी मारे जाते हैं. 

सीमापार से आए थे दहशतगर्द
चारों दहशतगर्द सीमापार से आए थे. वे पाक अधिकृत कश्मीर (POK) से झेलम नदी के रास्ते उड़ी सेक्टर में पहुंचे थे. उनकी साजिश पठानकोट की तर्ज पर हमला करने की थी. दरअसल, जनवरी 2016 में पठानकोट स्थित एयरफोर्स बेस पर आतंकियों ने हमला बोला था. उसमें 7 जवान शहीद हुए थे.

सुरक्षा चूक का उठाया फायदा
आतंकियों ने उड़ी में हमले के लिए ऐसा वक्त चुना, जब वहां जवानों की ड्यूटी बदल रही होती है. दरअसल, 2 साल पूरे करने के बाद एक बटालियन कैंप छोड़ देती है, जबकि दूसरी वहां आती है. उड़ी में भी जवानों की ड्यूटी बदल रही थी. डोगरा यूनिट की जगह 5 बिहार बटालियन लेने वाली थी. चूंकि जवानों की अदला-बदली चल रही थी, इसलिए 5 बिहार बटालियन के जवान तंबुओं में सो रहे थे, जबकि कई बैरक खाली थे. आतंकियों ने इसी सुरक्षा चूक का फायदा उठाया. 

सर्जिकल स्ट्राइक से लिया बदला
आतंकियों की इस कायराना हरकत से सभी देशवासियों की आंखें नम हो गई थीं. देशभर में आक्रोश का माहौल था. हर कोई चाहता था कि पाकिस्तान स्पॉन्सर टेररिस्ट्स को सबक सिखाया जाए.

हमले के ठीक 10 दिन बाद 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) को अंजाम दिया गया. भारतीय सेना पीओके में 3 किमी अंदर घुसी और आतंकी ठिकानों को तबाह किया. सेना ने 38 आतंकियों को मारकर उड़ी हमले का बदला लिया. 

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