AIIMS में पहली बार गर्भ में ही की गई भ्रूण की सर्जरी, पीएम ने दी डॉक्टरों को बधाई

एम्स में पहली बार गर्भ में ही भ्रूण की सर्जरी की गई. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टरों को बधाई दी है. बता दें, 90 सेकेंड में अंगूर के साइज के दिल में बंद वॉल्व को खोला. अगले हफ्ते बच्चे की डिलीवरी होगी. बता दें, उत्तर भारत में ये पहला केस है. भारत में इससे पहले 3 से 4 प्रोसीजर हो चुके हैं.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Mar 15, 2023, 11:35 PM IST
  • पीएम मोदी ने एम्स के डॉक्टरों को क्यों दी बधाई?
  • एम्स में पहली बार गर्भ में हुई भ्रूण की सर्जरी
AIIMS में पहली बार गर्भ में ही की गई भ्रूण की सर्जरी, पीएम ने दी डॉक्टरों को बधाई

नई दिल्ली: 28 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के साथ एक गर्भवती महिला को एम्स में रेफर किया गया. एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने देखा कि गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल का वॉल्व बंद है, जिसे अगर खोला नहीं गया तो दिल विकसित नहीं होगा और पैदा होने के बाद बच्चे को दिल की गंभीर बीमारी होने या उसकी जान जाने का भी खतरा था.

इस मां का पहले दो बार गर्भपात हो चुका था और तीसरी बार बच्चे का जन्म के 20 दिन बाद देहांत हो गया था. इस बार माता पिता ने इस प्रोसीजर को करने का फैसला किया.

एम्स के डॉक्टरों ने कैसे की ये सर्जरी?
एम्स के डॉक्टरों ने सुई को मां के पेट से गुजरते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे के हार्ट वॉल्व को खोलने के लिए वहां तक बैलून पहुंचाया जाता है. चुनौती ये होती है कि 90 सेकेंड में ये सारा काम करना जरूरी होता है. एक डॉक्टर तय समय के लिए एनेस्थिसिया दिया जाता है और कुछ मिनट के लिए मां और बच्चे के मूवमेंट को रोकना जरूरी होता है ताकि सुई कहीं और ना चली जाए. इस प्रक्रिया को बैलून डायलेशन कहा जाता है.

इस प्रोसीजर को 90 सेकेंड में अंजाम दिया गया, लेकिन इसे करने से पहले 90 घंटे की तैयारी लगी और इसके लिए पहले से मॉक ड्रिल की गई. तकरीबन 25 डॉक्टरों और टेक्नीशियन्स की टीम ने इस प्रोसीजर को अंजाम दिया. फीटल मेडिसन की एक्सपर्ट डॉ. वत्सला डडवाल और कार्डियोलोजिस्ट डॉ. रामा की टीम ने इस कठिन प्रोसीजर को अंजाम दिया.

इस प्रोसीजर को 25 जनवरी को किया गया. तब से लेकर अब तक गर्भ में बच्चे की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और बच्चे का दिल ठीक से डेवलेप कर रहा है. हालांकि बच्चे के जन्म के समय सही पता चल सकेगा कि उसका दिल कितना सही काम कर पाएगा. एक और बार बैलून से इस वॉल्व को खोलना पड़ सकता है या फिर दिल की सर्जरी भी करनी पड़ सकती है. और सब कुछ ठीक रहा तो कुछ किए बिना भी काम चल सकता है.

दुनियाभर में ऐसे करीब 100 केस ही सामने आए
1000 में से 8 बच्चों को इस तरह की समस्या आ सकती है. हालांकि गर्भ में बैलून डायलेशन करके प्रोसीजर के दुनिया भर में 100 के करीब केस ही सामने आए हैं. गर्भ में बैलून डायलेशन यूएस और जर्मनी जैसे देशों में आम है लेकिन भारत में प्राइवेट अस्पताल में ये प्रोसीजर काफी खर्चीला है और सरकारी अस्पतालों में इस कोऑर्डिनेशन के साथ इस प्रोसीजर को करने की चुनौती बनी रहती है.

इस कामयाबी पर पीएम मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एम्स के डॉक्टरों को बधाई दी है. पीएम ने ट्वीट करके कहा है कि भारत के डॉक्टरों पर गर्व है.

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