SC ने असम-मेघालय सीमा समझौते को स्थगित करने के हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मेघालय उच्च न्यायालय के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें सीमा विवाद के निपटारे के लिए असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों की ओर से किए गए समझौते को स्थगित कर दिया गया था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 6, 2023, 09:55 PM IST
  • 'हाई कोर्ट ने स्टे का कोई कारण नहीं बताया'
  • 'राजनीतिक दलदल में फंस गया है समझौता'
SC ने असम-मेघालय सीमा समझौते को स्थगित करने के हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मेघालय उच्च न्यायालय के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें सीमा विवाद के निपटारे के लिए असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों की ओर से किए गए समझौते को स्थगित कर दिया गया था. 

तीन जजों की पीठ ने सुना मामला
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिंह और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और असम तथा मेघालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की दलीलों पर गौर किया और मेघालय उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. 

'हाई कोर्ट ने स्टे का कोई कारण नहीं बताया'
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि एकल न्यायाधीश (मेघालय उच्च न्यायालय की पीठ) ने समझौता स्थगित करने का कोई कारण नहीं बताया. समझौते पर संसद की ओर से आगे विचार करने की आवश्यकता है या नहीं, यह एक अलग मुद्दा था. अंतरिम रोक की आवश्यकता नहीं थी. प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाएगा... इस बीच एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक रहेगी.'

विकास योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की दी गई दलील
पीठ ने इन दलीलों पर ध्यान दिया कि समझौता ज्ञापन के तहत आने वाले कुछ क्षेत्रों को पुराने सीमा विवाद के कारण विकासात्मक योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और इसके अलावा समझौते की वजह से दोनों राज्यों के बीच सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसने उन चार लोगों को भी नोटिस जारी किया, जो मूल रूप से विभिन्न आधारों पर समझौता ज्ञापन के क्रियान्वयन के खिलाफ उच्च न्यायालय गए थे. 

इन लोगों ने एक आधार यह भी दिया था कि समझौते से संविधान के अनुच्छेद-3 का उल्लंघन हुआ है. अनुच्छेद-3 संसद को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन से संबंधित कानून बनाने का अधिकार देता है. 

'राजनीतिक दलदल में फंस गया है समझौता'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लंबे समय से चले आ रहे अंतरराज्यीय सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता राजनीतिक दलदल में फंस गया. मूल रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से उच्च न्यायालय के समक्ष पेश हुए वकील प्रज्ञान प्रदीप शर्मा ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते को अनुच्छेद 3 के तहत संसद की अनिवार्य सहमति नहीं मिली थी. 

'आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी भूमि में बदला जा रहा'
उन्होंने कहा, “आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी भूमि में परिवर्तित किया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों द्वारा नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं, क्योंकि सीमांकन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.” असम के वकील ने तर्क दिया कि समझौते के तहत सीमा का पुनर्निर्धारण नहीं किया गया है और इसमें दोनों राज्यों के बीच बनी सहमति के बारे में बताया गया है. 

मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए निर्धारित
प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगाते हुए मामले को बाद के चरण में शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की. अदालत ने याचिका को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए निर्धारित किया. 

मेघालय उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने नौ दिसंबर को अंतरराज्यीय सीमा समझौते के बाद जमीन पर भौतिक सीमांकन या सीमा चौकियों के निर्माण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था. बाद में, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में अपील की. 

मार्च में दोनों राज्यों के सीएम ने किया था समझौता
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अकसर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से कम से कम छह के सीमांकन के लिए पिछले साल 29 मार्च को एक समझौता ज्ञापन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे. 

50 साल पुराना है दोनों देशों के बीच सीमा विवाद
असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद करीब 50 साल पुराना है. हालांकि, हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी लाई गई है. दोनों राज्यों की सीमा करीब 884.9 किमी लंबी है. असम से अलग करके 1972 में मेघालय का गठन किया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी थी जिसके बाद 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद शुरू हुआ. 

(इनपुटः भाषा)

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