धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- यह गंभीर मुद्दा, नहीं दिया जाना चाहिए राजनीतिक रंग

उच्चतम न्यायालय ने धर्मांतरण को गंभीर मुद्दा बताते हुए सोमवार को कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. न्यायालय ने छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की मदद मांगी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 9, 2023, 06:41 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के वकील की टिप्पणी पर जताई आपत्ति
  • कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- यह गंभीर मुद्दा, नहीं दिया जाना चाहिए राजनीतिक रंग

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने धर्मांतरण को गंभीर मुद्दा बताते हुए सोमवार को कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. न्यायालय ने छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की मदद मांगी. 

कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मांगी मदद
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने वेंकटरमणी से उस मामले में पेश होने के लिए कहा, जिसमें याचिकाकर्ता ने 'भय, धमकी, उपहार और मौद्रिक लाभ के जरिए धोखाधड़ी' के माध्यम से कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने का आग्रह किया है. पीठ ने मामले में वेंकटरमणी से अदालत मित्र के रूप में सहायता करने को कहा. 

कोर्ट ने पूछा- सुधारात्मक उपाय क्या हैं?
इसने कहा, ‘हम आपकी सहायता भी चाहते हैं, अटॉर्नी जनरल. बल, लालच आदि द्वारा धर्मांतरण -कुछ तरीके हैं, और यदि प्रलोभन द्वारा कुछ भी ऐसा हो रहा है, तो क्या किया जाना चाहिए? सुधारात्मक उपाय क्या हैं?’ शुरुआत में, तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने याचिका को "राजनीतिक रूप से प्रेरित" जनहित याचिका कहा. उन्होंने कहा कि राज्य में इस तरह के धर्मांतरण का कोई सवाल ही नहीं है. 

कोर्ट ने तमिलनाडु के वकील की टिप्पणी पर जताई आपत्ति
पीठ ने इस पर आपत्ति जताते हुए टिप्पणी की, 'आपके इस तरह उत्तेजित होने के अलग कारण हो सकते हैं. अदालती कार्यवाही को अन्य चीजों में मत बदलिए.... हम पूरे राज्य के लिए चिंतित हैं. यदि यह आपके राज्य में हो रहा है, तो यह बुरा है. यदि नहीं हो रहा, तो अच्छा है. इसे एक राज्य को लक्षित करने के रूप में न देखें. इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं.' 

कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें छलपूर्ण धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. शीर्ष अदालत ने हाल ही में कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है. इसने केंद्र से "बेहद गंभीर" मुद्दे से निपटने के लिए गंभीर प्रयास करने को कहा था. 

कोर्ट पहले दे चुका है चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर धोखे, प्रलोभन और भय-धमकी के जरिए कराए जाने वाले धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो ‘बहुत मुश्किल स्थिति’ पैदा हो जाएगी. गुजरात सरकार ने पहले की सुनवाई में शीर्ष अदालत से कहा था कि धर्म की स्वतंत्रता में दूसरों को धर्मांतरित करने का अधिकार शामिल नहीं है. इसने राज्य के कानून के उस प्रावधान पर उच्च न्यायालय की रोक को हटाने का अनुरोध किया था, जिसके तहत विवाह के माध्यम से धर्मांतरण के लिए जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है. 

उच्चतम न्यायालय ने 23 सितंबर को केंद्र और अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था. उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि जबरन धर्मांतरण एक राष्ट्रव्यापी समस्या है, जिससे तत्काल निपटने की जरूरत है. मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी.

(इनपुटः भाषा)

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