ताजमहल पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, '22 कमरों को खोलने' की मांग वाली याचिका खारिज

देश की सर्वोच्च अदालत न्यायालय ने ताजमहल के संबंध में दायर याचिका खारिज कर दी है. परिसर में '22 कमरों को खोलने' की 'तथ्यात्मक जांच' कराने की मांग की गई थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 21, 2022, 02:45 PM IST
  • ताजमहल की जांच वाली याचिका खारिज
  • सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका
ताजमहल पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, '22 कमरों को खोलने' की मांग वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ताजमहल के इतिहास और स्मारक के परिसर में '22 कमरों को खोलने' की 'तथ्यात्मक जांच' कराने के अनुरोध संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज करते हुए इसे 'प्रचार हित याचिका' करार दिया. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें याचिका खारिज कर दी गई थी.

अदालत ने बताई याचिका खारिज करने की वजह
पीठ ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करने में गलती नहीं की, जो एक प्रचार हित याचिका है. इसे खारिज किया जाता है.' उच्च न्यायालय ने 12 मई को कहा था कि याचिकाकर्ता रजनीश सिंह, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी हैं, यह इंगित करने में विफल रहे कि उनके कौन से कानूनी या संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है.

इसने 'लापरवाहपूर्ण' तरीके से जनहित याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता के वकील की भी खिंचाई की और कहा कि वह इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आदेश पारित नहीं कर सकता. यह अनुच्छेद एक उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण को आदेश या रिट जारी करने का अधिकार देता है.

'मुगलकाल का मकबरा भगवान शिव का मंदिर था'
कई हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने अतीत में दावा किया था कि मुगलकाल का मकबरा भगवान शिव का मंदिर था. स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है.

याचिका में प्राचीन, ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष (राष्ट्रीय महत्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के कुछ प्रावधानों को अलग करने का भी अनुरोध किया गया था जिसके तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, आगरा का किला और इत्माद-उद-दौला का मकबरा ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया था.

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