Haridwar Kumbh Mela 2021: आज पहला शाही स्नान, जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें

हरिद्वार महाकुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि(11 मार्च) को हो रहा है. जानिए इसके बारे में सभी जरूरी बातें. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 11, 2021, 12:13 AM IST
  • इस बार 28 दिन तक होगा कुंभ मेले का आयोजन.
  • कोरोना संक्रमण के बीच आज है पहली शाही स्नान.
Haridwar Kumbh Mela 2021: आज पहला शाही स्नान, जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें

नई दिल्ली: हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि(11 मार्च) के मौके पर हो रहा है. कोरोना संकट के बीच भी देश के सभी अखाड़ों की हरिद्वार में पेशवाई हो चुकी है. ऐसे में नागा साधुओं के साथ-साथ पूरे देश से श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए हरिद्वार पहुंच चुके हैं. अन्य कुंभ मेलों के तुलना में इस बार कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोविड गाइडलाइन्स का पालन करना जरूरी है. महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान पड़ने की वजह से बेहद शुभ संयोग बन रहा है. इसीलिए इस दिन गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का पूजन करने का विशेष फल भक्तों को मिलता है.

क्या होता है कुंभ में शाही स्नान
कुंभ में शाही स्नान के लिए नागा साधु, महंत, आचार्य और अन्य साधु-संत एक तय वक्त पर गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं. पवित्र नदी में किए गए इस स्नान को अमृत सन्ना भी कहा जाता है. शाही स्नान के लिए साधु-संत अपनी सोने-चांदी की पालकी, हाथी, घोड़े और ऊंट पर बैठकर पेशवाई निकालते हैं. इसके बाद घाट पर जोर-जोर से हर-हर महादेव के जयकारे लगाकर गंगा में डुबकी लगाते हैं. कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त पर गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है क्योंकि उस वक्त गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है.

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इस बार कब-कब होगा शाही स्नान
हरिद्वार में हो रहे कुंभ मेले का पहला शाही स्नान 11 मार्च को गुरुवार को महाशिवरात्रि के दिन हो रहा है. इसके बाद दूसरा स्नान सोमवती अमावस्या के दिन 12 अप्रैल को होगा. इसके बाद तीसरा शाही स्नान14 अप्रैल को मेष संक्रांति के दिन और चौथा 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा के दिन होगा.

शाही स्नान की पौराणिक कहानी
शाही स्नान को लेकर पुराणों में कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन इससे जुड़ी एक परंपरा सदियों पुरानी है. कहते हैं कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच शाही स्नान की परंपरा की शुरुआत हुई थी. उस समय मुगल शासक भारत में अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे थे. उस समय हिन्दू साधुओं और मुगलों के बीच संघर्ष होता रहता था. इस संघर्ष को बढ़ता देख एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें यह फैसला हुआ कि दोनों ही एक दूसरे के धर्म का सम्मान करेंगे. इसके बाद साधुओं को सम्मान देने के लिए कु्ंभ के दौरान हाथी-घोड़ों पर उनकी पेशवाई की गई. स्नान के दौरान उन्हें राजा-महाराजाओं की तरह पूरे  ठाठ-बाट दिए गए. इसी कारण इसे शाही स्नान कहा जाता है.

नागा साधु होते हैं केंद्र
कुंभ में शाही स्नान के दौरान आए नागा साधु पूरी दुनिया के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. इनके जीवन को बहुत रहस्यमयी माना जाता है. नागा साधु बनने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन मानी जाती है. सभी अखाड़ों में पहुंचे नए नागा साधुओं के दीक्षा देने के नियम अलग-अलग होते हैं. कहा जाता है कि नागा साधु बनने के लिए अपने पिंड का स्वंय दान जीवित रहते हुए किया जाता है. 

नहीं होगी साधु संतों की थर्मल स्क्रीनिंग
11 मार्च को महाशिवरात्रि और 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर होने वाले शाही स्नान के अवसर पर श्रद्धालुओं को कोरोना प्रोटोकॉल और कोरोना एसओपी का पालन करना होगा. इन शाही स्नानों से हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को अब 72 घंटे पहले की कोरोना की जांच रिपोर्ट अपने साथ लानी होगी. हालांकि इस दौरान साधु संतों की थर्मल स्क्रीनिंग नहीं की जाएगी. शाही स्नान के दौरान साधु संतों की थर्मल स्क्रीनिंग और रैंडम एंटीजन कोविड जांच नहीं की जाएगी. हरकी पैड़ी में संतों की देखरेख के लिए मेडिकल टीम तैनात रहेगी. वहीं दूसरी ओर अन्य श्रद्धालुओं की रैंडम जांच के लिए 50 टीमें तैनात रहेंगी.

शाही स्नान के लिए पंजीकरण अनिवार्य 
हरिद्वार कुंभ और शाही स्नान के लिए पंजीकरण भी अनिवार्य कर दिया गया है. यह निर्णय कोरोना महामारी के कारण लिया गया है. उत्तराखंड शासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कुंभ के लिए जारी की गई एसओपी को लागू करते हुए यह प्रावधान किया है. श्रद्धालुओं को अपना पंजीकरण वेब पोर्टल के जरिये कराना होगा. श्रद्धालुओं को कुंभ मेले में हरिद्वार आने से 72 घंटे पहले आरटीपीसीआर जांच करवानी होगी. रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही श्रद्धालु कुंभ और शाही स्नान के दौरान हरिद्वार आ सकेंगे.

विदेशी सैलानियों को भी करना होगा प्रोटोकॉल का पालन 
विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को भी केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन करना होगा। जो श्रद्धालु अपना पंजीकरण नहीं करवाएंगे, उन्हें कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ मेला इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर केवल 28 दिन का होगा. उत्तराखंड सरकार ने साधु संतों से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है. कुंभ मेला एक अप्रैल से 28 तक आयोजित किया जाएगा.

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