नई दिल्ली: Manoj Bajpayee Biography: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे शानदार अभिनेताओं में शुमार किए जाने वाले मनोज बाजपेयी के संघर्ष पर लिखी किताब बाजार में आने वाली है. 'मनोज बाजपेयी- कुछ पाने की जिद' शीर्षक वाली इस किताब की अमेजॉन पर प्री बुकिंग शुरू हो चुकी है. 20 तारीख को ये किताब लॉन्च होगी.
पीयूष पांडे ने लिखी है जीवनी
मनोज बाजपेयी की यह जीवनी वरिष्ठ टीवी पत्रकार पीयूष पांडे ने लिखी है जो उनसे एक दशक से ज्यादा से जुड़े रहे हैं और ऐसी घटनाओं और किस्सों के गवाह हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं.
दरअसल, मनोज बाजपेयी नए जमाने के गिनेचुने कलाकारों में से हैं जिन्होंने कम उम्र में ही हिंदी सिनेमा में एक बड़ा कद हासिल कर लिया था. दिग्गज कलाकार और फिल्म समीक्षक उनके अभिनय का लोहा मानते हैं. दर्शक उनके नाम पर थियेटर जाते हैं और वे जानते हैं कि बाजपेयी सिर्फ अपने मन की फिल्में करते हैं.
बाजपेयी की जिंदगी के कई राज खुलेंगे
मनोज बाजपेयी की यह जीवनी अभिनय को लेकर उनके जिद और जुनून की कहानी है जिसमें पाठकों को कई नई बातें पता लगेंगी. मसलन-बाजपेयी के पिता भी पुणे के फिल्म इंस्टिट्यूट में ऑडिशन देने गए थे. उनके पूर्वज अंग्रेजी राज के एक दमनकारी किसान कानून की वजह से उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चंपारण आए थे.
ये भी पता लगेगा कि मनोज बाजपेयी का बचपन उस गांव में बीता है, जहां महात्मा गांधी ने अपने प्रसिद्ध चंपारण सत्याग्रह दौरान एक रात्रि विश्राम किया था और फिल्म सत्या के भीखू म्हात्रे का चरित्र मनोज के गृहनगर बेतिया के एक शख्स से प्रेरित था, वगैरह-वगैरह.
पता लगेगा एक्टर का सिनेमाई सफर
मनोज बाजपेयी और उनके सिनेमाई सफ़र को जानने के लिए इसे एक बेहतर किताब कहा जा रहा है. बता दें कि एक्टर मनोज बाजपेयी 1998 में सत्या फिल्म की वजह से पूरे देश में मशहूर हुए थे. सत्या उनकी सबसे कामयाब फिल्मों में गिना जाता है. इसके अलावा शूल, अक्स, पिंजर और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों से बाजपेयी ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया.
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