अगर सुनील दत्त न होते तो बॉलीवुड को नहीं मिलते जॉनी लीवर, ऐसे शुरू हुआ पेन बेचने वाले का फिल्मी सफर

जॉनी लीवर शनिवार को अपना 63वां जन्मदिन मना रहे हैं. जॉनी की शुरुआती जिंदगी पर नजर डालें तो उनका परिवार बहुत गरीब था. वह अपने 4 भाई बहनों में सबसे बड़े थे.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Aug 14, 2021, 11:52 AM IST
  • जॉनी लीवर शनिवार को अपना 63वां जन्मदिन मना रहे हैं
  • जॉनी लीवर ने अपनी शुरुआती जिंदगी में काफी बुरा वक्त है
अगर सुनील दत्त न होते तो बॉलीवुड को नहीं मिलते जॉनी लीवर, ऐसे शुरू हुआ पेन बेचने वाले का फिल्मी सफर

नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा में वैसे तो कई कॉमेडियन्स का खूब बोल-बाला रहा है, लेकिन कुछ वक्त बाद ही दर्शक इनसे ऊब भी गए हैं. हालांकि इसी में एक नाम ऐसा है, जो कॉमेडी के बादशाह के रूप में सभी के दिलों में राज कर रहा है. दरअसल, यहां हम जॉन प्रकाश राव जानुमाल उर्फ जॉनी लीवर (Johnny Lever) की. जो भारत के पहले ऐसे स्टैण्डअप कॉमेडियन हैं, जिन्होंने करीब 350 फिल्मों में किया और 13 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किया.

गरीब परिवार में जन्में थे जॉनी लीवर

14 अगस्त, 1957 आंध्र प्रदेश में जन्में जॉनी लीवर शनिवार को अपना 63वां जन्मदिन मना रहे हैं. जॉनी की शुरुआती जिंदगी पर नजर डालें तो उनका परिवार बहुत गरीब था. वह अपने 4 भाई बहनों में सबसे बड़े थे, उनसे छोटी उनकी 3 बहनें थीं. ऐसे में उन्होंने 7वीं क्लास में पढ़ाई छोड़कर काफी कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी उठानी शुरू कर दी.

पेन बेचते थे जॉनी लीवर

जॉनी लीवर ने गली-गली जाकर पेन बेचने शुरू कर दिए. हालांकि, उनके भीतर हमेशा से ही एक एक्टर, एक कॉमेडियन मौजूद था जो वक्त-वक्त पर बाहर भी आ जाता था.

जॉनी गलियों में पेन भी एक्टर्स की नकल उतारते हुए या डांस करते हुए बेचते थे. इससे वह 5 रुपये तक कि कमाई कर लिया करते थे, जो उनके लिए काफी थे.

कंपनी में भी सभी का दिल जीत लेते थे जॉनी

कुछ समय बाद ही जॉनी के पिता ने उन्हें हिंदुस्तान लीवर नाम की एक कंपनी में नौकरी दिलवा दी. यहां भी वह हमेशा ही अपनी कॉमेडी, एक्टिंग और सितारों की मिमिक्री कर लोगों का दिल जीत लिया करते थे. यहीं पर ही उन्हें जॉनी लीवर नाम दिया गया. इसी दौरान उन्हें स्टेज शोज करने के ऑफर आने लगे.

ऐसे पड़ी सुनील दत्त (Sunil Dutt) की नजर

एक स्टेज शो के दौरान ही उन पर अभिनेता सुनील दत्त (Sunil Dutt) की नजर पड़ी. वह जॉनी लीवर को देखते ही उनसे इंप्रेस हो गए. उसके बाद उन्होंने जॉनी को 1982 में रिलीज हुई फिल्म 'दर्द का रिश्ता' में पहला ब्रेक दिलाया.

इंडस्ट्री में कदम रखते ही उन्होंने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया, साइड रोल में होने के बावजूद जॉनी लीवर को कई बार हीरो से ज्यादा पसंद किया जाता था. इसके बाद अभिनेता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

आज भी जॉनी लीवर की कॉमेडी में वही अंदाज देखने को मिलता है. उनके चाहने वाले आज दुनियाभर में मौजूद हैं, उनकी एक खासियत एक यह भी है कि उन्हें जितना भी सुना जाए कभी बोरियत महसूस नहीं होती.

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