Semkhor Protest: नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म 'सेमखोर' लेकर उबला पूरा उत्तर पूर्वी भारत, विरोध प्रदर्शन जारी

असम नागालैंड के बॉर्डर पर रहने वाली डिमासा जनजाति को लेकर एमी बरुआ ने एक फिल्म बनाई. फिल्म 2021 में बनी थी नाम था 'सेमखोर'. फिल्म को डिमासा भाषा की ऑरिजनल फिल्म के रूम में नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 3, 2022, 05:52 PM IST
  • एमी बरुआ की फिल्म 'सेमखोर' कानूनी घेरे में
  • डिमासा जनजाति के इतिहास के साथ हुई छेड़छाड़
Semkhor Protest: नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म 'सेमखोर' लेकर उबला पूरा उत्तर पूर्वी भारत, विरोध प्रदर्शन जारी

नई दिल्ली: भारत के उत्तर पूर्व में छिपे हैं कई ऐसे रहस्य. जिनसे आज भी लोग अनजान हैं. वहां रहने वाली जनजातियां, उनका खान पान, रहन-सहन पूरे भारत से काफी अलग है. ऐसे में वहां के फिल्म मेकर लगातार वहां के जनजीवन को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. 'विलेज रॉकस्टार' इसका जीता जागता उदाहरण है. 

जरा सोचिए अगर कोई आपके कल्चर को गलत तरीके से या तोड़-मरोड़ कर दिखाए तो आपको कैसा लगेगा. मान लीजिए आपके सामने किसी फिल्म को सत्य घटनाओं पर आधारित बताया जाता है लेकिन उसमें जानकारी या तो झूठी है या आधी सच. ऐसे में दर्शक के तौर पर आप ठगा हुआ महसूस करेंगे. ऐसा ही कुछ डिमासा ट्राइब के लोगों के साथ हुआ. आइए जानते हैं पूरा मामला-

'सेमखोर' फिल्म

असम फिल्म मेकर एमी बरुआ को हाल ही में उनकी फिल्म सेमखोर के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया. फिल्म के सुर्खियों में आते ही उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. दरअसल फिल्म असम और नागालैंड की एक जनजाति डिमासा पर बेस्ड है. ऐसे में कई डिमासा ऑर्गेनाइजेशंस का ये कहना है कि फिल्म जनजाति को लेकर गलत जानकारी देती है.

जनजाति के कस्टम को गलत तरीके से दिखाया

'सेमखोर' फिल्म में डिमासा को सामाजिक तौर पर पिछड़ा हुआ दिखाया गया है. उनके जीवन और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है. ऐसे में फिल्म मेकर्स की ओर से एक गलती हो गई है. फिल्म में एक ऐसा कस्टम दिखाया गया है जो उनकी जनजाति में प्रैक्टिस नहीं किया जाता है. एक दृश्य में दिखाया गया है कि मां के मरते ही एक बच्चे को दबा दिया जाता है. जनजाति से संबंधित लोगों का कहना है कि वो इस तरह के किसी भी रिवाज को फॉलो नहीं करते हैं.

राष्ट्रपति को दिया ज्ञापन

असम के डीमा हसाओ जिले में सिविल सोसायटी ग्रुप के लोगों ने 'सेमखोर' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंप कर बैन लगाने की मांग की है. उनके इल्जाम है कि उनकी कम्युनिटी को फिल्म में गलत तरीके से दिखाया गया है.

एमी बरुआ ने मांगी माफी

बता दें कि फिल्म मेकर एमी बरुआ असम मंत्री पियूष हजारिका की पत्नी हैं. एमी ने फिल्म को लेकर बताया कि ये कभी भी हमारी इंटेशन नहीं रही है कि हम किसी की फीलिंग्स या सेल्फ रिस्पेक्ट को आहत करें. अगर हमने उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो हम माफी मांगना चाहेंगे.

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