US Financial Crisis: अगर अमेरिका हो गया दिवालिया तो दुनिया में मचेगा हाहाकार, जाएंगी लाखों नौकरियां
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US Financial Crisis: अगर अमेरिका हो गया दिवालिया तो दुनिया में मचेगा हाहाकार, जाएंगी लाखों नौकरियां

US Debt Ceiling: शायद ही कभी किसी ने सोचा हो कि अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश के सामने नकदी संकट पैदा होगा. वह अपने बिलों तक का भुगतान नहीं कर पाएगी और अर्थव्यवस्था के सामने डिफॉल्ट होने का खतरा पैदा हो जाएगा. लेकिन यह सच है.

US Financial Crisis: अगर अमेरिका हो गया दिवालिया तो दुनिया में मचेगा हाहाकार, जाएंगी लाखों नौकरियां

US Debt News: आर्थिक मोर्चे पर ग्लोबल इकोनॉमी को पिछले कुछ वर्षों में कई झटके लगे हैं. अब अमेरिका में कर्ज संकट बढ़ने के कारण एक और भयानक मुसीबत मुंह फैलाए खड़ी है. 

कोरोना महामारी के कारण दुनिया की हालत वैसे ही खराब थी. 1945 के बाद यूरोप सबसे बड़ी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. अब वित्त बाजार में अमेरिकी सरकार के बिलों का भुगतान नहीं कर पाने का खौफ पसरा हुआ है. शायद ही कभी किसी ने सोचा हो कि अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश के सामने नकदी संकट पैदा होगा. वह अपने बिलों तक का भुगतान नहीं कर पाएगी और अर्थव्यवस्था के सामने डिफॉल्ट होने का खतरा पैदा हो जाएगा. लेकिन यह सच है.

मच सकती है वैश्विक तबाही

अमेरिकी सरकार की कर्ज लिमिट को बढ़ाने की बातचीत अब जोरों पर है. शुक्रवार को इसके संकेत मिले थे. अगर ऐसा हुआ तो यह साल 2008 में वैश्विक आर्थिक तबाही को न्योता देने जैसा होगा. जबकि अमेरिका का डिफॉल्ट घोषित होना तो बद से बदतर स्थिति है. 

डार्टमाउथ यूनिवर्सिटी में इकॉनमी के प्रोफेसर और बैंक ऑफ इंग्लैंड में पूर्व ब्याज दर सेटर डैनी ब्लैंचफ्लॉवर ने ने कहा, 'अगर दुनिया का सुपरपावर देश अपने बिलों का ही भुगतान न कर पाए तो क्या होगा. इसके बेहद खतरनाक नतीजे होंगे.'

वैश्विक बाजारों पर आया संकट

अब तक यह भरोसा चला आ रहा है कि जिन भी लेनदारों से अमेरिका की सरकार ने कर्ज लिया है, वह उनको वक्त पर वापस करेगी. इसी विश्वास के आधार पर दुनिया का फाइनेंशियल सिस्टम काम करता है. यही प्रक्रिया यूएस ट्रेजरी सिक्योरिटीज और डॉलर को दुनिया की रिजर्व करंसी को बॉन्ड मार्केट्स का आधार बनाता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ट्रेजरी के भुगतान और विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा तो वैश्विक बाजारों में तो तबाही मच सकती है. अमेरिका का इतिहास देखें तो उसको कभी डिफॉल्ट का सामना नहीं करना पड़ा. यह करीब करीब नामुमकिन सा लगता है. लेकिन अगर ऐसा हुआ तो उसके नतीजे विध्वंसक होंगे. बीते दिनों वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा था कि इस खतरे से निपटने के लिए संस्थाओं के पास कोई खास वॉर रूम नहीं है. उनका यह भी कहना है कि अमेरिका के डिफॉल्ट होने की उनको उम्मीद नहीं है. 

वहीं मूडीज के इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि नकदी संकट एक हफ्ते रहने से ही अमेरिका की जीडीपी 0.7 परसेंट तक गिर सकती है. साथ ही 15 लाख लोग नौकरियां गंवा सकते हैं. 

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