Russia-Ukraine War: NATO में फिनलैंड और स्वीडन की एंट्री रोकने जा रहा तुर्की! दुनिया को बताई असल वजह
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Russia-Ukraine War: NATO में फिनलैंड और स्वीडन की एंट्री रोकने जा रहा तुर्की! दुनिया को बताई असल वजह

Russia-Ukraine War: रूस के कोप से बचने के लिए नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहे फिनलैंड और स्वीडन की चाहत अधूरी रह सकती है. तुर्की (Turkey) ने दोनों देशों को NATO में शामिल होने से रोकने का संकेत दिया है. उसने पहली बार इसकी वजह भी स्पष्ट की हैं.

Russia-Ukraine War: NATO में फिनलैंड और स्वीडन की एंट्री रोकने जा रहा तुर्की! दुनिया को बताई असल वजह

Russia-Ukraine War: तुर्की (Turkey) ने NATO में शामिल होने की कोशिश कर रहे फिनलैंड (Finland) और स्वीडन (Sweden) की राह रोकने का फैसला किया है. उसने इस फैसले की असल वजह भी अब दुनिया को बता दी है. तुर्की का कहना है कि उसने विद्रोही नेताओं के लिए प्रत्यर्पण के लिए उन दोनों देशों से अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने तुर्की के प्रत्यर्पण के अनुरोधों को खारिज कर दिया है. 

यह नया मामला तब सामने आया है, जब इन दोनों स्कैंडिनेवियाई देशों ने नाटो में शामिल होने का फैसला किया है. इसके लिए वे तुर्की के संभावित वीटो को दूर करने के लिए उसके साथ बातचीत कर रहे हैं. 

तुर्की के आग्रह पर नहीं दिया ध्यान

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की (Turkey) के न्याय मंत्रालय ने फिनलैंड (Finland) से अपने 12 लोगों को प्रत्यर्पण करने की मांग की. इनमें से 6 संदिग्ध कथित तौर पर PKK ग्रुप से और 6 गुलेन आंदोलन से जुड़े हैं. गुलेन आंदोलन पर तुर्की सरकार ने 15 जुलाई, 2016 को एक असफल तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया था. तुर्की ने स्वीडन से 21 संदिग्धों के प्रत्यर्पण के लिए भी कहा था. इनमें से 10 आरोपी गुलेन आंदोलन और 11 पर पीकेके के साथ संबंध रखने का आरोप था.

तुर्की के 33 में से 19 खारिज किए

तुर्की के न्याय मंत्रालय ने कहा कि उसने दोनों देशों को कुल 33 लोगों को प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया था. इनमें से 19 लोगों को प्रत्यर्पित करने की रिक्वेस्ट दोनों देशों ने खारिज कर दी है. जबकि 5 पर कोई जवाब नहीं दिया है. वहीं बचे 9 लोगों के प्रत्यर्पण पर अभी दोनों देशों के साथ बातचीत जारी है.

तुर्की ने लगाया आतंकवाद को शह देने का आरोप

तुर्की सरकार (Turkey) ने कहा कि वह स्वीडन (Sweden) और फ़िनलैंड (Finland) को नाटो में शामिल होने की योजना का समर्थन नहीं करता है. इस गठबंधन में शामिल होने के लिए सभी सदस्य देशों के राजी होने की शर्त होती है. ऐसे में अगर तुर्की आपत्ति करता है तो दोनों देश चाहकर भी नाटो से नहीं जुड़ पाएंगे. पिछले हफ्ते, तुर्की के राष्ट्रपति Recep Tayyip Erdogan ने दोनों देशों पर PKK और सीरिया की कुर्द पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (YPG) के आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाया था. तुर्की YPG को पीकेके की सीरियाई शाखा के रूप में देखता है.

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नाटो में शामिल करवाने के लिए तुर्की की 2 शर्तें 

तुर्की (Turkey) के प्रत्यर्पण आवेदनों को खारिज करने का बावजूद स्वीडन (Sweden) और फिनलैंड (Finland) ने अपनी नाटो सदस्यता के संबंध में उसे राजी करने का प्रयास तेज कर दिया है. हालांकि तुर्की पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है और उसने दोनों देशों के सामने 2 बड़ी मांग रख दी हैं. तुर्की के विदेश मंत्री Mevlut Cavusoglu ने तुर्की दोनों देशों से मांग करता है कि वे उन्हें सुरक्षा गारंटी प्रदान करें और साथ ही उस पर लगे रक्षा उपकरणों के निर्यात पर बैन हटाया जाए. 

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