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इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ पनामागेट घोटाला मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के सामने गुरूवार को हाजिर हुए. वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए इस तरह के किसी आयोग के सामने पेश हुए हैं.
नवाज शरीफ ने आरोपों को नकारा
प्रधानमंत्री ने इसके बाद कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने कुछ गलत नहीं किया है. शरीफ ने अपनी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश रचने के लिए कुछ अज्ञात तत्वों को निशाना बनाया. 67 साल के शरीफ ने कहा कि इन आरोपों का पीएम के तौर पर उनके कार्यकाल से कुछ लेना देना नहीं है और ये भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं.
तीन घंटे हुई शरीफ से पूछताछ
शरीफ ने छह सदस्यीय दल द्वारा करीब तीन घंटे तक की गई पूछताछ के बाद कहा, 'इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन आरोपों का प्रधानमंत्री के तौर पर मेरे कार्यकाल से कुछ लेना देना नहीं है और ये भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं। ये मुझ पर और मेरे परिवार पर पारिवारिक कारोबार को लेकर व्यक्तिगत स्तर पर लगे आरोप हैं.' प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि 'कुछ अज्ञात तत्व उनके औक लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रच रहे हैं जिससे देश का नुकसान होगा.' उन्होंने कहा, 'मेरे राजनीतिक विरोधियों की सभी साजिशें नाकाम होंगी.'
कभी भ्रष्टाचार का आरोप साबित नहीं हुआ : नवाज शरीफ
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं तीसरी दफा बने प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने खरबों रपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी लेकिन 'मेरे विरोधी मुझ पर कुछ भी गलत करने का आरोप नहीं लगा सकते.' शरीफ ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को बार बार कठोर जवाबदेही का सामना करना पड़ा है लेकिन उनके खिलाफ कभी भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप साबित नहीं हुआ. शरीफ ने विश्वास जताया कि मौजूदा जांच का नतीजा अलग नहीं होगा क्योंकि उन्होंने या उनके परिवार ने कुछ गलत नहीं किया है.
जेआईटी ने जारी किया था समन
जेआईटी के प्रमुख वाजिद जिया ने शरीफ को मामले से जुड़े सभी कागजात ले कर आज छह सदस्यीय दल के समक्ष तलब किया था. शरीफ के कजाखस्तान से वापस लौटने के बाद उन्हें सम्मन जारी किया गया. शरीफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कजाकिस्तान गए थे.
20 अप्रैल को हुआ ता जेआईटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर मामले में 20 अप्रैल को जेआईटी का गठन किया था और उसे प्रधानमंत्री, उनके बेटे और मामले से जुड़े किसी भी अन्य व्यक्ति से पूछताछ करने का अधिकार दिया था. यह दल मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहा है जिसके जरिए लंदन के पॉश पार्क लेन क्षेत्र में चार अपार्टमेंट खरीदे गए थे. जेआईटी को 60 दिन में अपनी जांच पूरी करनी है.