डॉन की रपट में कहा गया है कि सी-4 संयंत्र की क्षमता 340 मेगावॉट बिजली उत्पादन की है.
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने शुक्रवार (8 सितंबर) को मियांवली क्षेत्र के चाशमा में देश के पांचवें परमाणु बिजली संयंत्र का उद्घाटन किया. डॉन की रपट में कहा गया है कि सी-4 संयंत्र की क्षमता 340 मेगावॉट बिजली उत्पादन की है. इस अवसर पर अब्बासी ने कहा कि इस परियोजना से देश की बिजली समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी. चाशमा परमाणु ऊर्जा परियोजना की सी-1, सी-2 और सी-3 इकाइयां पहले से ही चालू हैं और राष्ट्रीय ग्रिड में अपना योगदान कर रही हैं. इसके अलावा के-2 और के-3 नामक वृहद संयंत्र का निर्माण जारी है, जिसमें उत्पादन जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
अब्बासी ने कहा कि परमाणु बिजली संयंत्र किफायती दर पर बिजली पैदा करते हैं. इसलिए चाशमा और मुजफ्फराबाद क्षेत्रों में और बिजली उत्पादन परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. प्रधानमंत्री ने चीन को उसके सहयोग के लिए धन्यवाद किया और कहा कि यह परियोजना चीन के लोगों और वहां की सरकार के मदद के बिना पूरा कर पाना संभव नहीं था.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान को साथ लाएगा चीन
चीन ने शुक्रवार (8 सितंबर) को कहा कि वह अफगानिस्तान में 16 साल पुराने संकट को हल करने के प्रयासों में पाकिस्तान और काबुल को साथ लाने के लिए ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा. बीजिंग के इस नए कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त नीति का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. चीन की नयी अफगानिस्तान नीति को सामने रखते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने में बीजिंग ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा.
आसिफ ने वांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने और अफगान समस्या का राजनीतिक समाधान करने में चीन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. इस कदम का सहयोग करने के लिए पाकिस्तान पहले ही कदम उठा चुका है और हम काबुल के साथ संबंध सुधारने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे.’’
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि बीजिंग के अपने दौरे से पहले उन्होंने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी से बातचीत की और दोनों संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मुलाकात करने पर सहमति जताई. वांग ने कहा, ‘‘अच्छे संबंध दोनों देशों को फायदा पहुंचाएगा, वरना दोनों को नुकसान होगा. इसलिए हम आशा करते हैं कि दोनों देश एक ही दिशा में काम करेंगे और मिलकर काम करेंगे तथा क्षेत्र में शांति में योगदान देंगे.’’
(इनपुट एजेंसी से भी)