Russia Finland Crisis: फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने की क्या है वजह, रूस को क्या होगा नुकसान?
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Russia Finland Crisis: फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने की क्या है वजह, रूस को क्या होगा नुकसान?

Russia Finland Tension: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा, इस बीच रूस और फिनलैंड में भी तनातनी बढ़ गई है. दरअसल फिनलैंड और स्वीडन नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने जा रहे हैं. इसे लेकर रूस ने कड़ा विरोध जताया है और फिनलैंड को धमकी भी दी है.

फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन, स्वीडन की प्रधानमंत्री मेगदालेना एंडरसन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

Why Finland-Sweden want to Join NATO: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच चल रहे युद्ध को अब तीन महीने होने को है. रूस ने यूक्रेन पर जिन वजहों से हमला किया, उसमें एक बड़ा कारण यूक्रेन का नाटो (NATO) में शामिल होने की तैयारी थी. रूस कभी नहीं चाहता कि उसका कोई भी पड़ोसी देश नाटो का सदस्य बने. इस बीच खबर आ रही है कि अब फिनलैंड (Finland) और स्वीडन (sweden) नाटो की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये दोनों देश नाटो से क्यों जुड़ना चाहते हैं और इसका रूस पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

ये है नाटो में जाने की वजह

रूस ने जिस तरह यूक्रेन पर हमला करके तबाही मचाई है, उसने रूस के दूसरे पड़ोसी देशों और आसपास के देशों में टेंशन बढ़ा दी है. हर कोई अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है. यही वजह है कि अधिकतर देश नाटो में शामिल होकर खुद को सिक्योर करना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि सदस्य बनने पर अमेरिका और अन्य बड़े नाटो देश उनकी रक्षा करेंगे. जहां तक बात है फिनलैंड की तो इसका करीब 1340 किलोमीटर एरिया का बॉर्डर रूस से लगा है. लंबे समय से दोनों देशों के बीच कोई टकराहट नहीं है, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ थे. इन सबके बीच रूस ने यूक्रेन पर हमला करके उसकी चिंता बढ़ा दी है. इसी तरह स्वीडन फिनलैंड का पड़ोसी है. रूस कई बार स्वीडन के एयरस्पेस में घुसपैठ कर चुका है. दोनों ही देश रूस से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होना चाहते हैं. दोनों देश के नागरिक भी मौजूदा हालात को देखते हुए अब नाटो में शामिल होने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ साल पहले तक बहुत कम लोग ऐसा चाहते थे.

रूस को ये होगा नुकसान

अगर फिनलैंड और स्वीडन नाटो के सदस्य बन जाते हैं तो रूस उत्तर दिशा से भी घिर जाएगा. रूस की आर्थिक राजधानी पीटर्सबर्ग फिनलैंड की दिशा में ही है. ऐसे में इस पर भी असुरक्षा बढ़ जाएगी. फिनलैंड बाल्टिक सागर के किनारे स्थित है, जबकि इसके ठीक नीचे और रूस के पड़ोस में एस्टोनिया नाम का देश है जो पहले से नाटो का सदस्य है. फिनलैंड के सदस्य बनने पर नाटो चाहे तो एस्टोनिया और फिनलैंड के बीच नाकेबंदी कर रूस की इस एऱिया में आवाजाही ठप कर सकता है. इस परिस्थिति में रूस का समुद्री व्यापार भी ठप पड़ सकता है. इन सब वजहों से ही रूस नहीं चाहता कि फिनलैंड और स्वीडन नाटो का सदस्य बनें. रूस ने इसलिए दोनों देशों को धमकी दी है.

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