नासा के वैज्ञानिकों को दिखा कुछ ऐसा, सुलझ सकती है सूर्य के इर्द-गिर्द जीवन की पहेली
Advertisement

नासा के वैज्ञानिकों को दिखा कुछ ऐसा, सुलझ सकती है सूर्य के इर्द-गिर्द जीवन की पहेली

वैज्ञानिकों के मुताबिक यह दूर के सितारों का दृश्य हो सकता है जो हमें तारकीय गतिविधि और ग्रहों पर जीवन की स्थितियों को समझने में मदद कर सकता है.

प्रतीकात्मक चित्र.

नई दिल्ली: नासा (NASA) के स्पेसक्राफ्ट के बेड़ों ने सूर्य की बाहरी परिधि के विषय में वैज्ञानिकों को सूर्य या आसपास के तारों पर जीवन की समझ के लिए एक नई दिशा दी है. सौरमण्डल के चारों तरफ चुंबकीय तरगों से पैदा होने वाला अद्भुत सन स्पॉट दिखा है. बता दें कि सामान्यत: सौरमंडल से दो तरह की फ्लेयर्स निकलती हैं. लो इंटेंसिटी फ्लेयर्स, हाई इंटेंसिटी फ्लेयर्स. लो इंटेंसिटी फ्लेयर्स में डीएनए और आरएनए सुरक्षित रहते हैं जबकि हाई इंटेंसिटी फ्लेयर्स में डीएनए और आरएनए सुरक्षित नहीं रहते. इस बार धब्बे की वजह लो इंटेंसिटी फ्लेयर्स पाई गई हैं.

  1. नासा के वैज्ञानिकों को मिल सकती है बड़ी सफलता

    सुलझ सकती है सूर्य के इर्द-गिर्द जीवन की पहेली

    लगातार हो रहे ऑब्जर्वेशन में दिखा दुर्लभ दृश्य

नासा के स्पेसक्राफ्ट के बेड़ों ने सौरमंडल का चक्कर लगाते समय इन सौर धब्बों पर जीवन की संभावनाओं को तलाशा है. सन स्पॉट की सबसे पहले खोज वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली ने की थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह परछाई या धब्बे इसके चुंबकीय क्षेत्र के कारण अरबों मील दूर है. यह दूर के सितारों का दृश्य हो सकता है जो हमें तारकीय गतिविधि और ग्रहों पर जीवन की स्थितियों को समझने में मदद कर सकता है. अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक शिन टोरमी ने कहा, ‘हमने इस अध्यन में सौर डेटा का उपयोग किया है, जिसका सौर भौतिकी और तारकीय भौतिकी के बीच बेहतर संबंध है.’

यह भी पढ़ें: LIVE: पीएम मोदी ने लॉन्च की स्वामित्व योजना, बांटे संपत्ति कार्ड

सनस्पॉट अक्सर सौर फ्लेयर के पूर्ववर्ती होते हैं. सूर्य की सतह से सनस्पॉट की निगरानी करना और यह समझना महत्वपूर्ण है कि फ्लेयर्स क्यों और कैसे होते हैं? इसके अतिरिक्त, अन्य तारों पर फ्लेयर्स की आवृत्ति को समझना उनके जीवन को नुकसान पहुंचाने के कारणों को समझने के तरीकों में से एक है. कुछ फ्लेयर्स से आरएनए और डीएनए जैसे जटिल अणुओं को बनाने में मदद मिल सकती है. लेकिन कई मजबूत फ्लेयर्स पूरे वायुमंडल को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे एक ग्रह पर जीवन की संभावना खत्म हो जाती है.

यह देखने के लिए कि सौरमंडल पर सूर्य के स्थान और उसका प्रभाव दूर के तारे पर कैसा दिखेगा, यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने सूर्य के हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा की शुरुआत नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी और JAXA / NASA के हिनोड मिशन से की. प्रत्येक छवि में प्रकाश को जोड़कर, वैज्ञानिकों ने हाई-रिज़ॉल्यूशन पिक्चर्स को एकल डेटा पॉइंट में परिवर्तित किया. बाद के डेटापॉइंट्स को एक साथ मिलाते हुए वैज्ञानिकों ने प्लॉट बनाए कि घूमते हुए सूर्य के पार प्रकाश के गुजरते ही छवि कैसे बदल गई. वैज्ञानिक जिन भूखंडों को प्रकाश वक्र कहते हैं उनसे सूर्य पर एक गुजरता हुआ सूरज जैसा दिखा जो कई प्रकाश-वर्ष दूर था. वैज्ञानिकों ने सूर्य के हाई-रिज़ॉल्यूशन पिक्चर्स का उपयोग करके लाइट कर्वस बनाईं, ताकि यह समझा जा सके कि दूर के तारे पर एक सनस्पॉट कैसा दिखेगा?

एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन के मुताबिक पूरे सूर्य पर दिखाई देने वाले ‘सनस्पॉट’ का सिर्फ एक समूह है. भले ही नासा और जेएक्सए मिशन ने एक दशक से अधिक समय तक लगातार सूर्य की टिप्पणियों को इकट्ठा किया है, लेकिन ये मामला काफी दुर्लभ है. आमतौर पर कई सनस्पॉट होते हैं.

LIVE TV

 

Trending news