Highway in Building: 16 मंजिला बिल्डिंग के बीच से निकलता है ये शानदार हाईवे, इमारत के मालिक को मिलता है किराया
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Highway in Building: 16 मंजिला बिल्डिंग के बीच से निकलता है ये शानदार हाईवे, इमारत के मालिक को मिलता है किराया

Highway Between Buildings: सुंदर, शानदार और लंबे-चौड़े हाईवे किसको अच्छे नहीं लगते. इनमें मीलों की दूरी बेहद कम समय में पूरी हो जाती है. जापान में इंजीनियरिंग का शानदार नमूना एक हाईवे हैं, जो बिल्डिंगों के बीच से होकर गुजरता है. आइए जानते हैं इस हाईवे के बनने की कहानी.

हाईवे

Japan Gate Tower Building: अक्सर लोग थकान और समय बचाने के लिए ट्रेन या हवाई जहाज का सहारा लेते हैं, लेकिन सड़क से लंबी दूरी तय करना लोगों को अच्छा नहीं लगता है. ऐसे में अब दुनिया भर में शानदार हाईवे बनने लगे हैं. इनमें गाड़ियां बिना रुके सरपट दौड़ने लगती है. अब तक एक्सप्रेस वे भी बनने लगे हैं. ऐसे में लोग भी लंबी दूरी की यात्रा के लिए सड़कों को चुनने लगे हैं. आज एक ऐसे हाईवे की बात करेंगे, जो आर्किटेक्चर का बेमिसाल नमूना है. यह कोई आम हाईवे नहीं है, बल्कि बिल्डिंगो के बीच से गुजरने वाली एक शानदार सड़क है. यह हाईवे जापान के ओसाका शहर में स्थित है.

इंजीनियरिंग का शानदार नमूना

यह हाईवे जिस बिल्डिंग के बीचों-बीच से गुजरता है, उस बिल्डिंग का नाम गेट टावर बिल्डिंग है. यह 16 मंजिला इमारत है. बिल्डिंग के बीच से होकर गुजरने वाला यह हाईवे दुनिया में पहली तरह का है. ऐसी शानदार इंजीनियरिंग की कारीगरी दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलती है.

बिल्डिंग में हाईवे से नहीं होती कोई दिक्कत

इस हाईवे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इस इमारत पर कोई असर नहीं पड़ता है. इस हाईवे से गुजरने वाली गाड़ियों की वजह से इस बिल्डिंग में न शोर-शराबा होता है और न ही किसी तरह का कोई कंपन. इमारत के अंदर एलिवेटर लगे हुए हैं और हाईवे का कोई भी हिस्सा इमारत को नहीं छू पाता है. इस बिल्डिंग को वल्र्ड फेमस इंजीनियर अजूसा सेकेई और यमातो निशिहारा ने डिजाइन किया है. इस हाईवे को नीचे बना ब्रिज सहारा देता है.

इस तरह बना हाईवे

इस हाईवे के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, 1982 में यहां एक बिल्डिंग बनाई जानी थी, लेकिन बिल्डिंग के मालिक को पता नहीं था कि यहां पहले ही हाईवे के निर्माण की योजना बनाई जा चुकी है. मामला कोर्ट तक जा पहुंचा और पांच साल तक केस चलते रहा. हालांकि, इस केस के चलते दोनों ही पक्षों को नुकसान होने लगा. ऐसे में दोनों के बीच एक समझौता हुआ. प्रशासन ने तय किया कि प्लॉट का अधिकार असली मालिकों के पास ही रहेगा और उनको हाईवे का किराया मिलता रहेगा. प्लॉट के मालिक भी इस बात पर राजी हो गए. इसके बाद हाईवे का निर्माण कार्य शुरू हुआ. हाईवे का नाम इमारत के किरायदारों की लिस्ट में लिखा हुआ है. 

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