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तेल अवीव: इजरायल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) भी अपने दोस्त डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की राह पर चल निकले हैं. चुनाव में शिकस्त का सामने करने के बाद नेतन्याहू ने ट्रंप की तरह चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने चुनाव को इस सदी का सबसे बड़ा फ्रॉड बताते हुए साफ कर दिया है कि वह इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं हैं. इतना ही नहीं, नेतन्याहू ने देश के सिक्योरिटी चीफ पर भी निशाना साधा है.
बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने उनकी पार्टी लिकुड को शिकस्त देने वाले गठबंधन पर निशाना साधते हुए रविवार को कहा कि इजरायल की लोकतांत्रित व्यवस्था के साथ सबसे बड़ा धोखा हुआ है. इस चुनाव में ऐतिहासिक धांधली हुई है. नेतन्याहू का ये बयान ऐसे समय आया है, जब उनके सहयोगी रहे नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने 8 विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन किया है और इजरायल का प्रधानमंत्री बनने के लिए दावा ठोंका है.
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वहीं, बेंजामिन नेतन्याहू के बयान पर नेफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने कहा कि उन्हें चुनाव में हार को स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता ने नई सरकार बनाने के लिए मतदान किया है, ऐसे में उन्हें जनता के फैसले का सम्मान करते हुए बिना किसी विवाद के हार स्वीकार करनी चाहिए. गौरतलब हैकी इजरायल में इसी साल 23 मार्च को फिर से चुनाव हुआ था, जिसमें बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है.
उधर, नेतन्याहू के रुख को देखते हुए इजरायल के चीफ ऑफ सिक्योरिटी स्टाफ ने आशंका जताई है कि पूरे इजरायल में राजनीतिक हिंसा हो सकती है. बेंजामिन नेतन्याहू के ताजा बयान के बाद इसकी आशंका और बढ़ गई है. नेतन्याहू ने कहा है कि हम देश के इतिहास में हुए सबसे बड़े चुनावी फ्रॉड का गवाह बन रहे हैं. मेरे विचार से ये किसी भी देश के लोकतांत्रित इतिहास की सबसे बड़ी चुनावी धांधली है.
डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं. पहले ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव हारे और अब नेतन्याहू को शिकस्त का सामना करना पड़ा है. चुनाव में हार के बाद ट्रंप ने भी धांधली के आरोप लगाए थे और अदालतों का दरवाजा खटखटाया था. रिपब्लिकन नेता के भड़काऊ भाषणों के चलते उनके समर्थकों ने अमेरिकी संसद पर हमला भी बोला था. अब नेतन्याहू भी उसी राह पर चल रहे हैं. देखने वाली बात ये होगी कि क्या वो बयानबाजी के बाद हार स्वीकार कर लेते हैं या खुलकर विद्रोह करते हैं.