पाक पीएम अब्बासी ने कहा, भारत के साथ सुलझ सकता है सिंधु जल संधि
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पाक पीएम अब्बासी ने कहा, भारत के साथ सुलझ सकता है सिंधु जल संधि

भारत और पाकिस्तान ने विश्व बैंक की मदद से नौ वर्षों तक चली बातचीत के बाद 1960 में आईडब्ल्यूटी पर हस्ताक्षर किए थे. इस पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किया था.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी. (फाइल फोटो)

न्यूयॉर्क: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा है कि सिंधु जल संधि पर भारत और पाकिस्तान के बीच के मतभेदों को सुलझाने का समाधान समझौते के भीतर ही मौजूद है. सिंधु जल संधि पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्बासी ने कहा कि संधि के भीतर ही मतभेदों को सुलझाने के प्रावधान दिए गए हैं. एक शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक, काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन्स द्वारा बुधवार (20 सितंबर) को आयोजित एक कार्यक्रम में अब्बासी ने कहा, “यह अब एक कानूनी मसला है. और इसे समझौते के संदर्भ में ही सुलझाया जा सकता है.”

अब्बासी ने कहा “पहले दिन से ही हमारा यह रुख रहा है कि इस मुद्दे को समझौते के प्रावधानों के मुताबिक सुलझाया जाना चाहिए जो कि बहुत स्पष्ट हैं. मुझे लगता है कि विश्वबैंक भी हमारे नजरिए की सराहना करेगा.” सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक के संरक्षण में भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का पिछला दौर 14 और 15 सितंबर को चला था जो बिना किसी समझौते के खत्म हो गया था.

रातल और किशनगंगा पनबिजली परियोजनाओं पर भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरे चरण की बातचीत वॉशिंगटन में विश्व बैंक के मुख्यालय में हुई थी. इन परियोजनाओं पर इस्लामाबाद ने आपत्ति जताई थी. विश्व बैंक की मदद से भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल चली लंबी बातचीत के बाद वर्ष 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. विश्व बैंक भी इसमें एक हस्ताक्षरकर्ता था.

विश्व बैंक ने कहा, सिंधु जल संधि पर भारत-पाकिस्तान में नहीं हो पाया कोई समझौता

विश्व बैंक ने कहा है कि सिंधु जल संधि पर भारत एवं पाकिस्तान के बीच हालिया वार्ता बेनतीजा रही. हालांकि, इसने कहा कि वह दोनों देशों के बीच इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण तरीके से हल निकालने के लिए पूरी निष्पक्षता से काम करना जारी रखेगा. विश्व बैंक की निगरानी में यहां मुख्यालय में 14 और 15 सितंबर को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच दूसरे दौर की चर्चा हुई. दरअसल, इन परियोजनाओं पर पाकिस्तान ने ऐतराज जताया है.

विश्व बैंक ने एक बयान में कहा, ‘‘हालांकि बैठकों में किसी समझौते तक नहीं पहुंचा जा सका, पर विश्व बैंक मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से और संधि के प्रावधानों के अनुरूप सुलझाने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा.’’ दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर सचिव स्तरीय चर्चा के समापन पर विश्व बैंक ने कहा कि दोनों देशों और विश्व बैंक ने चर्चा की सराहना की और संधि को कायम रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. बयान में कहा गया है कि विश्व बैंक सदभावना के साथ काम करने और संधि के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता बरतने के लिए प्रतिबद्ध है.

भारत और पाकिस्तान ने विश्व बैंक की मदद से नौ वर्षों तक चली बातचीत के बाद 1960 में आईडब्ल्यूटी पर हस्ताक्षर किए थे. इस पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किया था. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय जल संसाधन सचिव अमरजीत सिंह ने किया. इस प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय, ऊर्जा, और केंद्रीय जल आयोग के भी प्रतिनिधि और भारत के जल संधि आयुक्त शामिल थे.

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