War Update: EU और Nato में फूट, हंगरी ने दी मास्को की मांगों को पूरा करने की मंजूरी
Advertisement

War Update: EU और Nato में फूट, हंगरी ने दी मास्को की मांगों को पूरा करने की मंजूरी

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने रूसी गैस के खरीददारों को अन्फ्रैंडली समझे जाने वाले देशों से नैचुरल गैस के बदले रूबल में ट्रेड करने की डिमांड की है. ईयू और नाटो में फूट के बीच हंगरी ने रूसी गैस के लिए मास्को की मांगों को पूरा करने की मंजूरी दी.

प्रतीकात्मक फोटो | Photo Credit : Reuters

आरती राय, नई दिल्ली: हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन (Prime Minister Viktor Orban) ने कहा कि हंगरी को रूसी गैस के लिए रूबल में भुगतान करने में कोई समस्या नहीं होगी, इसके बाद यूरोपीय संघ और हंगरी सरकार के बीच एक गंभीर विवाद  खड़ा हो गया है. यूरोपीय आयोग का कहना है कि अगर हंगेरियन सरकार ऐसा करने का फैसला करती है तो वह यूरोपीय संघ (EU) के प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगी. इसके विपरीत, ओर्बन सरकार का दावा है कि रूस के साथ हंगरी के द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का उल्लंघन किए बिना रूसी गैस के लिए भुगतान करना संभव है.

  1. ईयू और नाटो के बीच फूट
  2. रूस पर लगाए प्रतिबंध
  3. मास्को की मांगों को मिली मंजूरी

क्या है पूरा मामला?

अगर हंगरी रूसी ऊर्जा के लिए रूबल में भुगतान करने के अपने वादे पर खरा उतरता है तो यह यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को तोड़ देगा. यूरोपियन यूनियन की प्रेसिडेंट वॉन डेर लेयेन (Ursula Von Der Leyen) ने कहा, 'जो यूरोपीय देश अपने यूरो को रूबल में परिवर्तित करते हैं और फिर अपने गैस बिल का भुगतान करते हैं, ऐसा करने पर रूस पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा.' उर्सुला वॉन डेर लेयेन की ये टिप्पणी हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके ये कहने, 'अगर रूसियों द्वारा आयातित गैस के लिए रूस को रूबल में भुगतान करने का अनुरोध किया जाता है, तो इससे हंगरी को कोई विशेष कठिनाई नहीं होगी' के बाद आई थी. रूसी गैस के लिए मास्को की मांगों को रूबल में भुगतान करने के लिए हंगरी तैयार है. हंगरी के प्रधानमंत्री जिन्होंने हाल ही में लगातार चौथी बार जीत हासिल कर अपना कार्यालय शुरू किया है, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं, 'वह मास्को के साथ अपने करीबी संबंधों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे थे' और कहते हैं कि वह वर्तमान में रूस के 'विरोधी' हैं. लेकिन उन्होंने ये भी संकेत दिए कि मास्को ने गैस की बिक्री में कटौती करने की धमकी का पालन नहीं किया, तो कोई समस्या नहीं होगी, जब तक कि उन्हें रूबल में भुगतान नहीं किया जाता. यह मांग रूस (Russia) द्वारा पश्चिमी प्रतिबंधों पर पलटवार करने और अपनी मुद्रा को बढ़ावा देने के प्रयास का हिस्सा है. 'इससे हमें कोई समस्या नहीं होती है'.

ये भी पढें: Donald Trump: दुनिया का सबसे ईमानदार आदमी कौन है? डोनाल्‍ड ट्रंप ने दिया जवाब

कैसे हैं हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बन और पुतिन के बीच रिश्ते?

हंगरी के प्रधानमंत्री ने ये भी कहा, 'यदि रूस अनुरोध करता है, तो हम रूबल में भुगतान करेंगे'. हंगरी की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओर्बन रूस के सबसे करीबी यूरोपीय संघ के सहयोगियों में से एक रहे हैं और उनका रुख रूसी गैस के अन्य यूरोपीय इंपोर्टर्स विशेष रूप से जर्मनी से स्पष्ट रूप से अलग हैं. उनकी टिप्पणी तब आई जब यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने प्रतिबंधों के एक नए दौर पर हस्ताक्षर करने के लिए मुलाकात की. हंगरी (Hungary) और रूस के बीच रिश्तों की चर्चा को लेकर हंगरी मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि पुतिन चुनावों में जीत के बाद ओर्बन को बधाई देने वाले पहले नेताओं में से एक थे. एक टेलीफोनिक वार्ता के दौरान विक्टर ओर्बन ने पुतिन को जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy), फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (French President Emmanuel Macron) और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ बुडापेस्ट में युद्धविराम वार्ता के लिए आमंत्रित भी किया था. एक तरफ विक्टर ओर्बन ने ये भी कहा कि युद्ध अपराध के सभी आरोपों की जांच की जानी चाहिए लेकिन स्वीकार किया कि रूस आक्रामक हमले का दोषी है. विक्टर ओर्बन ने रूस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ये भी कहा, 'यह एक युद्ध है, जिसे रूस ने यूक्रेन पर हमला करते हुए शुरू किया'. हंगरी, एक नाटो और यूरोपीय संघ का सदस्य है और फिलहाल NATO और EU दोनों ही रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमले के चलते कड़ा विरोध कर रहे हैं.

ये भी पढें: Neil Armstrong: चंद्रमा के सैंपल्स की होगी नीलामी, पहले मिशन पर किया गया था कलेक्ट

पुतिन के आदेश के पीछे क्या राज है?

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में रूसी गैस के खरीददारों को UNFREINDLY समझे जाने वाले देशों से नैचुरल गैस के बदले रूबल में ट्रेड करने की डिमांड की, जिसको यूरोपीय सरकारों ने सिरे से खारिज कर दिया है. पुतिन का आदेश यूक्रेन पर उसके आक्रमण को लेकर रूस पर लगाए गए अभूतपूर्व पश्चिमी प्रतिबंधों (Sanctions) के प्रतिशोध में है, जो मास्को के मुताबिक एक आर्थिक युद्ध के समान है. रूस के ऊर्जा क्षेत्र को मंजूरी दी जाए या नहीं, इस पर वित्तीय शिकंजा कसने और यूरोपीय संघ के विभाजन के साथ पुतिन ने एक स्पष्ट संदेश सहित पलटवार किया- यदि आप हमारी गैस चाहते हैं, तो हमारी मुद्रा खरीदें.

पुतिन के फैसले पर EU की प्रतिक्रिया

EU ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है, 'यदि इस तरह के भुगतान (रूबल में) नहीं किए जाते हैं, तो हम इसे सभी आगामी परिणामों के साथ खरीददारों की ओर से एक डिफॉल्ट मानेंगे. कोई भी हमें मुफ्त में कुछ नहीं बेचता है और हम दान भी नहीं करने जा रहे हैं. यानी मौजूदा अनुबंध बंद कर दिए जाएंगे.' आपको बता दें कि यूरोप की कुल खपत में रूसी गैस (Russian Gas) की हिस्सेदारी लगभग 40% है और रूस से यूरोपीय संघ के गैस इंपोर्ट में इस साल अब तक एक दिन में 200 मिलियन से 800 मिलियन यूरो (880 मिलियन डॉलर) का उतार-चढ़ाव आया है. संभावना है कि मुद्रा में बदलाव यूरोपियन यूनियन और नाटो देशों और रूस के व्यापारिक संबंधों को अस्त-व्यस्त कर सकता है. यूरोपियन यूनियन सहित NATO देशों ने पहले से ही रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. 

ये भी पढें: पोलैंड के राष्‍ट्रपति की प्‍लेन क्रैश में हुई थी मौत, 12 साल बाद शक के घेरे में रूस

EU क्या है?

यूरोपियन यूनियन (European Union) 28 देशों का एक समूह है जो एक संसक्त आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है. इसके 19 सदस्य देश अपनी आधिकारिक मुद्रा के तौर पर 'यूरो' का उपयोग करते हैं. जबकि 9 सदस्य देश (बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम) यूरो का उपयोग नहीं करते हैं. इसका गठन यूरोपीय देशों के बीच सदियों से चली आ रही लड़ाई को समाप्त करने के लिए यूरोपीय संघ के रूप में एक एकल यूरोपीय राजनीतिक यूनिट बनाने के लिए किया गया था. EU ने अपने मेंबर देशों के लिए एक मार्केट (Internal Single Market) विकसित किया है जो सभी सदस्य राज्यों के मामलों में लागू होता है और सभी सदस्य देशों की इस पर एक राय होती है. 

नाटो क्या है?

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) 1949 में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस सहित 12 देशों द्वारा गठित एक सैन्य गठबंधन है. इसमें शुरुआत में 12 देश थे. एक समझौते के मुताबिक नाटो के सदस्य किसी भी सदस्य राज्य के खिलाफ सशस्त्र हमले की स्थिति में एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आने में सहमत हैं. इस संगठन का मूल सिद्धांत ये है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे. नाटो का उद्देश्य मूल रूप से यूरोप में युद्ध के बाद के रूसी विस्तार के खतरे का मुकाबला करना था.

ये भी पढें: अब रूस के इस कदम पर भड़का अमेरिका, कह डाली ये बात

लगाए जाने वाले नए प्रतिबंध क्या हैं?

अमेरिका (America), यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने एक साथ 1,000 से अधिक रूसी व्यक्तियों और व्यवसायों को मंजूरी दी है, जिनमें धनी व्यापारिक नेता, तथाकथित कुलीन वर्ग शामिल हैं. इन्हें क्रेमलिन का करीबी माना जाता है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) की संपत्ति भी अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा में जब्त की जा रही है. यूके ने 'गोल्डन वीजा' की बिक्री भी रोक दी है, जिसने धनी रूसियों को ब्रिटिश निवास के अधिकार प्राप्त करने की अनुमति दी जाती थी. NATO रूस में नए निवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए आर्थिक उपाय तलाश रहा है. दो रूसी वित्तीय संस्थानों, अल्फा बैंक और सर्बैंक पर गंभीर प्रतिबंध लगाया है. राष्ट्रपति पुतिन के अडल्ट बच्चों और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के रिश्तेदारों सहित रूसी सरकार के अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाया गया. इस बीच, यूके ने रूस के सबसे बड़े बैंक, Sberbank पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और 2022 के अंत तक रूसी कोयले और तेल के सभी इंपोर्ट्स को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.

LIVE TV

Trending news