पाकिस्तान के बाद अब इस मुस्लिम देश को आर्थिक संकट ने घेरा, दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल
Advertisement

पाकिस्तान के बाद अब इस मुस्लिम देश को आर्थिक संकट ने घेरा, दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल

Economic Crisis: हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बड़े सुपरमार्केट में राशनिंग साइन बोर्ड ग्राहकों को चेतावनी दे रहे हैं कि वे केवल तीन बैग चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल खरीद सकते हैं.

पाकिस्तान के बाद अब इस मुस्लिम देश को आर्थिक संकट ने घेरा, दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल

Egypt Economic Crisis: पाकिस्तान के बाद अब एक और देश की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है. महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि गरीबों को दो वक्त का खाना खरीदने में भी मुश्किल हो रही है. खाद्य आयात पर निर्भर इस देश में फूड आइटम्स की महंगाई ने करीब 10 करोड़ लोगों को आर्थिक संकट में लाकर खड़ा कर दिया है.

न्यूज वेबसाइट बिजनेस रिकॉर्डर के मुताबिक हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बड़े सुपरमार्केट में राशनिंग साइन बोर्ड ग्राहकों को चेतावनी दे रहे हैं कि वे केवल तीन बैग चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल खरीद सकते हैं.

काहिरा की एक बेकरी में 34 वर्षीय रिहैब ने कहा, ‘मैं मिस्र के एक पाउंड में जो रोटी खरीदती थी, उसकी कीमत अब तीन हो गई है." उन्होंने बताया, ‘मेरे पति एक महीने में 6,000 पाउंड (मिस्र) कमाते हैं, जो पूरे महीने चलता था लेकिन अब 10 दिनों में खत्म हो जाता है.‘

रेडा, एक 55 वर्षीय सिविल सेवक और अस्पताल चौकीदार, जो अपने 13 सदस्यों के परिवार का भरण-पोषण करती हैं, ने कहा कि जमे हुए मांस की कीमत दोगुनी से अधिक हो गई है और ‘अब कोई विकल्प नहीं है दो वेतन के साथ भी,  बहुत कुछ है जो मैं अब और नहीं खरीद सकती.’

रूस यूक्रेन युद्ध ने दिया भारी झटका
पिछले फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद मिस्र की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा था, जिसने वैश्विक निवेशकों को अस्थिर कर दिया था और उन्हें अपना बड़ा निवेश उत्तरी अफ्रीकी देश से बाहर निकालने के लिए प्रेरित किया.

युद्ध ने गेहूं की कीमतों में तेजी से वृद्धि की, मिस्र पर भारी प्रभाव डाला, जो दुनिया के सबसे बड़े अनाज आयातकों में से एक था, और इसके विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा. वैश्विक ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण लागत में और वृद्धि हुई है, आधिकारिक मुद्रास्फीति नवंबर में 18 प्रतिशत पर पहुंच गई.

सरकार की अजीबो-गरीब सलाह पर भड़की जनता
इस मुश्किल दौर में सरकार की एक एजेंसी ने एक ऐसी सलाह जनता को दी है कि लोग भड़क गए हैं और सोशल मीडिया पर जमकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मिस्र की एक सरकारी एजेंसी ने एक वैकल्पिक, सस्ते प्रोटीन स्रोत की प्रशंसा की – ‘चिकन पैर, शरीर और बजट के लिए अच्छा.’

महंगाई के दौर में किसी को सरकार की यह सलाह नहीं पच रही है. यहां तक की सांसद करीम अल-सआदत ने इसे "संकट की वास्तविकता से अलग" बताया.

पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की जरूरत नहीं

Trending news