WHO New Report: ये लोग आते हैं आलसियों की श्रेणी में, चेक करें कहीं आप भी तो नहीं
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WHO New Report: ये लोग आते हैं आलसियों की श्रेणी में, चेक करें कहीं आप भी तो नहीं

WHO मुताबिक दुनिया के आधे से ज्यादा लोग कम से कम कसरत में भी यकीन नहीं रखते हैं और वो कुछ ना करने की वजह से बीमार होते जा रहे हैं.

फाइल फोटो

WHO ने चेतावनी देने वाली एक ऐसी रिपोर्ट पेश की है जिसके मुताबिक दुनिया के आधे से ज्यादा लोग कम से कम कसरत में भी यकीन नहीं रखते और वो कुछ ना करने की वजह से बीमार होते जा रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो  81% किशोर और 28% वयस्क विश्व स्वास्थय संगठन के मानकों के हिसाब से न्यूनतम कसरत भी नहीं करते और आलसी लोगों की कैटेगरी में आते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 से 2030 के बीच यानी केवल 10 सालों में करीब 50 करोड़ नए बीमार हो चुके होंगे और ये लोग इसलिए बीमारों की संख्या में शुमार हो जाएंगे क्योंकि वो कुछ नहीं करते हैं यानी वो आलसी हैं या उनकी फिजिकल एक्टिविटी निल बटे सन्नाटा है. इन लोगों के इलाज में 2700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च हो रहा होगा. ये जो 50 करोड़ लोग बीमार होंगे इनमें से आधे लोग दो बीमारियों की चपेट में आकर बाकी बीमारियों के शिकार होंगे. WHO के अनुमान के मुताबिक इन 50 करोड़ में से 47% को हाईपरटेंशन यानी हाई बीपी की समस्या होगी और 43% को डिप्रेशन हो चुका होगा.  

आलसी होने का पता देती है रिपोर्ट

अमीर देशों में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला कुल खर्च में से 70% लाइफ स्टाइल वाली बीमारियों के इलाज में खर्च होगा. आपको बता दें कि 174 देशों पर तैयार की गई ये पहली ग्लोबल रिपोर्ट है जो दुनिया के आलसी होने का पता दे रही है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कई देश अपने लोगों के लिए ऐसे नियम ही नहीं ला सके जो उन्हें फिट रहने के लिए प्रेरित करते हैं.  

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों कि मानें तो केवल 42% देशों में पैदल चलने और साइकिल चलाने वालों के लिए पॉलिसी और प्रावधान हैं. केवल 26% देश ही ड्रंकन ड्राइविंग पर लगाम लगाने की कड़ी पॉलिसी ला सके हैं.  केवल 26% देशों मे ही स्पीड लिमिट के नियम सख्ती से लागू करने की व्यवस्था है. अगर आप न्यूनतम एक्सरसाइज को फॉलो करें तो क्या हो सकता है. क्या है न्यूनतम एक्टिविटी जो हर किसी को करनी चाहिए.

WHO क्या कहा?

WHO के मुताबिक जो लोग हफ्ते में 150 मिनट की साधारण एक्सरसाइज भी नहीं करते या हफ्ते में 75 मिनट तक जमकर कसरत नहीं करते हैं उन्हें आलसी माना जाता है. अगर लोग इतना भी करने लगें तो वो समय से पहले कुछ ना करने की वजह से मरने के खतरे को 20 से 30% तक टाल सकते हैं. दिल की बीमारी और डिप्रेशन के केस 7% से 8% तक कम हो सकते हैं. डायबिटीज के मरीजों की संख्या में ग्लोबल स्तर पर 5% की कमी आ सकती है.

संपन्नता का आलसीपन से रिश्ता

दुनिया में अमीर देशों में 36% लोग आलसी हैं जबकि गरीब देशों में 16% लोग ऐसे हैं जिनकी शारीरिक कसरत ना के बराबर है.  

लोग इतने आलसी क्यों हैं सड़कें भी हैं वजहें  

174 में से लगभग आधे देशों में पैदल चलने और साइकिल चलाने के हिसाब से रोड डिजाइन ही नहीं है. केवल 73 देश ऐसे हैं जो छोटे सफर के लिए पैदल चलने और साइकलिंग को बढ़ावा देते हैं और उसके हिसाब से सड़कें तैयार करते हैं. ज्यादातर देश मोटर व्हीकल्स के हिसाब से सड़कें बनाने में लगे हैं. इसके साथ ही ड्राइवर की लापरवाहियों से लोग नहीं पैदल चल पाते हैं

मोबाइल बढ़ा रहा है जान को जोखिम

स्पीड लिमिट भी लोगों को पैदल चलने से रोक रही है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई गाड़ी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की जगह 65 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही है तो पैदल व्यक्ति के एक्सीडेंट होने का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है. आपको बता दें कि सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में से 35% के पीछे शराब भी एक बड़ी वजह देखी गई है. इसी तरह मोबाइल का इस्तेमाल करने से एक्सीडेंट होने का खतरा चार गुना बढ़ जाता है अगर आप मैसेज टाइप कर रहे हैं तो ये खतरा 23% तक बढ़ जाता है. मोबाइल इस्तेमाल करने से ड्राइवर का रिएक्शन टाइम 50% तक कम हो जाता है. इस बीच WHO की सलाह है कि गाड़ियों की स्पीड लिमिट 50 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए.  

कहां खड़ा है अनफिट देशों की लिस्ट में भारत

दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में से 74% लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से होती हैं.  भारत में 66%  लोग लाइफस्टाइल वाली बीमारियों के शिकार होकर मारे जा रहे हैं.  दुनिया की तीन चौथाई मौतों की वजह लाइफस्टाइल वाली बीमारियां हैं.  हर 2 सेकेंड में एक व्यक्ति लाइफ स्टाइल वाली बीमारी से मारा जा रहा है.  70 वर्ष से कम उम्र के 1 करोड़ 70 लाख लोग हर साल नॉन कम्युनिकेबल यानी लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से मारे जा रहे हैं यानी हर 2 सेकेंड में एक मौत खराब लाइफस्टाइल से हो रही है. आपको बता दें कि 1 करोड़ 70 लाख मौतों में से 86% लोग मिडिल इंकम देशों के हैं जो इन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. भारत उन देशों में शामिल है. लाइफस्टाइल वाली चार बीमारियों (दिल की बीमारी, सांस की बीमारी, कैंसर और डायबिटीज) की वजह से साल 2011 से 2030 यानी 20 वर्षों में दुनिया को 30 लाख करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. WHO के मुताबिक अगर गरीब देश हर वर्ष इन बीमारियों को रोकने के लिए 1 हजार 800 करोड़ रुपये खर्च कर ले, तो कम मौतें होंगी और कई करोड़ का आर्थिक नुकसान भी बचाया जा सकेगा.

भारत के आंकड़े बेहद खराब

भारत में होने वाली कुल मौतों में से 66% की वजह लाइफ-स्टाइल से होने वाली बीमारियां हैं. भारत में हर साल 60 लाख 46 हजार 960 लोग खराब लाइफ स्टाइल से गंभीर बीमारियों के शिकार होकर मारे जा रहे हैं. भारत में इस तरह जान गंवाने वाले 54% लोगों की उम्र 70 साल से कम है. भारत में हर वर्ष 28% लोग दिल की बीमारी से मारे जा रहे हैं जबकि 12% लोग सांस की बीमारियों से,10% लोग कैंसर से, 4% लोग डायबिटीज से और बाकी 12% दूसरी लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से मारे जा रहे हैं.  

इसलिए बीमार पड़ रहे हैं भारत में लोग

भारत में 15 वर्ष से ऊपर का एक व्यक्ति औसतन 5.6 लीटर शराब हर साल पी जाता है. औसतन पुरुष 9 लीटर, और महिलाएं 2 लीटर शराब पी जाती हैं. 15 वर्ष से उपर के 28% लोग तंबाकू के शिकार हैं.  

आलसीपन

भारत में 18 वर्ष से ऊपर के 34% लोग आलसी हैं और फिजीकल इनएक्टिविटी (Physical Inactivity) के शिकार हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि 11 से 17 साल के 74% बच्चे आलसी हैं और जरूरी फिजीकल एक्टिविटी से कोसों दूर हैं. आपको बता दें कि हर साल दुनिया के 8 लाख 30 हजार लोग इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वो आलसी हैं और कुछ नहीं करते. लाइफस्टाइल से होने वाली कुल मौतों में से 2 फीसदी लोग इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि वो आलसी हैं. भारत में 31% लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है.  WHO की रिपोर्ट के मुताबिक आधे लोगों को ये नहीं पता है कि उन्हें हाईबीपी हो चुका है.  

दुनिया भर में किस कारण से होती हैं कितनी मौतें

दिल की बीमारियां

हर तीन में से एक मौत की वजह दिल की बीमारी बनती है यानी 1 करोड़ 70 लाख लोग हर साल इस बीमारी से मर रहे हैं.  दिल की बीमारी के शिकार दो तिहाई लोग गरीब देशों में रहते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हाईबीपी के शिकार आधे लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर है. दुनिया में 30 से 79 साल के 130 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं और आधे इस बात से अंजान हैं.  

कैंसर से मौतें

हर 6 में से 1 मौत की वजह कैंसर है. दुनिया भर में 90 लाख से ज्यादा लोग कैंसर से मारे जा रहे हैं. इनमें से 44% जानें बचाई जा सकती हैं.

सांस की बीमारियां

दुनियाभर में होने वाली 13 मौतों में से 1 सांस की बीमारियों से हो रही हैं. दुनियाभर में 40 लाख लोग केवल सांस की बीमारी होने की वजह से मर रहे हैं. भारत जैसे कई देशों में इन बीमारियों से होने वाली मौतों के बढ़ने की बड़ी वजह वायु प्रदूषण है. इनमें से 70% लोग बचाए जा सकते हैं अगर देश केवल पर्यावरण पर काम कर लें तो.   

डायबिटीज़ से मौतें

हर 28 में से एक व्यक्ति की जान डायबिटीज ले रही है.   

तंबाकू से मौतें

80 लाख लोगों की जान तंबाकू ले रहा है। इनमें से 10 लाख लोग पैसिव स्मोकिंग से मारे जा रहे हैं। यानी ये 10 लाख लोग किसी दूसरे की सिगरेट के धुंए के शिकार होकर मारे जा रहे हैं।   

खराब खान-पान

80 लाख लोग हर साल खराब खाने, कम खाने या ज्यादा खाने की वजह से मारे जा रहे हैं.

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