तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूं नहीं करता, हमारे गांव में बरसात क्यूं नहीं करता
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे, वर्ना हर चीज़ आरज़ी है मुझे
नींद ऐसी कि रात कम पड़ जाए, ख़्वाब ऐसा कि मुंह खुला रह जाए
किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है, कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है
तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो, तो फिर ये बताओ कि तुम उसकी आंखों के बारे में क्या जानते हो
ये ज्योग्राफिया, फ़लसफ़ा, साइकोलाॅजी, साइंस, रियाज़ी वगैरह, ये सब जानना भी अहम है मगर उसके घर का पता जानते हो
ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूं कि मात हो गई है
चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें, दिल पे आंखें रक्खें तेरी सांसें देखें