टॉक्सिक होने के बाद भी रिश्त में रहती हैं महिलाएं, कहीं आप तो...?

रिलेशनशिप

जो सबसे बड़ी वजह है ऐसे रिलेशनशिप में भी बने रहने की वो है कि लोग क्या कहेंगे. महिलाओं को इसका डर सबसे ज्यादा होता है और इसी वजह से वो चाहकर भी आवाज उठाने नहीं उठा पातीं.

पति के खिलाफ

हमारे समाज में आज भी पति के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं को सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता. कई बार तो लोग महिलाओं में ही खोठ निकालने लगते हैं.

पति पर निर्भर

जब कोई महिला पूरी तरह से पति पर निर्भर रहती है, तो उसे अलग होने से पहले कई सारी चीज़ों के बारे में सोचना पड़ता है. खासतौर से अगर आपके बच्चे भी हों तो. इसलिए महिलाओं को बचपन से आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है.

आत्मविश्वास

टॉक्सिक रिलेशनशिप को झेलने की एक बड़ी वजह महिलाओं में आत्मविश्वास की भी कमी होती है. ये समस्या भी पार्टनर पर डिपेंडेंसी की वजह से ही आती है.

फाइनेंशियली

महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा इमोशनल होती हैं. साथ रहते हुए वो पार्टनर पर फाइनेंशियली ही नहीं बल्कि इमोशनली भी डिपेंडेट हो जाती है.

चुप रहना

ये चीज भी टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलने में आड़े आती है. इस वजह से कई बार महिलाएं आवाज उठाने के बजाय चुप रहना पसंद करती हैं.

अकेलापन

नो डाउट अकेलापन एक अलग तरह का टॉर्चर है, लेकिन टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने से कहीं गुना ज्यादा बेहतर होता है.

इमोशनल डिपेंडेंसी

महिलाएं अकसर अकेलेपन के बारे में सोचकर अलग होने से कतराती हैं. आत्मविश्वास की कमी, इमोशनल डिपेंडेंसी इसमें और ज्यादा सपोर्ट करती है.

पॉजिटिव बदलाव

एक जो और अजीब बात देखने को मिलती है टॉक्सिक रिलेशनशिप को झेलने की वो है कि महिलाओं को पॉजिटिव बदलाव की उम्मीद होती है

बिहेवियर

उन्हें लगता है कि उनका प्यार, बर्ताव एक न एक दिन पार्टनर के इस बिहेवियर में जरूर बदलाव लाएगा.