तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो...खोखले शरीर में भी जान भर देंगी राहत इंदौरी की ये शायरियां
आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है? आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है?
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए, कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चांद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से, ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं