जब युधिष्ठिर ने कुंती को दिया था ये श्राप, आज के समय में भी पड़ रहा है इसका असर

महाभारत युद्ध

महाभारत युद्ध के दौरान जब कुंती पुत्र अर्जुन ने सूत पुत्र कर्ण का सिर काट दिया था, तब पांडवों के सामने एक विचित्र घटना हुई.

कुंती का विलाप

जिस दिन कर्ण का वध हुआ, उस रात को कुंती ने कर्ण के कटे सिर को अपनी गोद में रख कर विलाप करने लगी.

पांडवों का आश्चर्य

सभी पांडवों को आश्चर्य हुआ कि आखिर क्या कारण है कि माता कुंती हमारे शत्रु के लिए आंसू बहा रही हैं.

ज्येष्ठ पांडव

युधिष्ठिर ने अपनी माता से कारण पूछा, तब माता कुंती ने बताया कि कर्ण ज्येष्ठ पांडव हैं.

पुत्र वरदान

एक ऋषि से मिले वरदान का परीक्षण करने के लिए कुंती ने विवाह से पूर्व सूर्य देवता से पुत्र मांगा था.

सूत पुत्र

अविवाहित होने के कारण कुंती ने उस बच्चे को नदी में बहा दिया था, जो एक सूत परिवार को मिला और वह सूत पुत्र कहलाया.

युधिष्ठिर का श्राप

यह सुनकर युधिष्ठिर को काफी गुस्सा आया, वे धर्म के पुजारी थे. अपनी माता को श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद कोई भी महिला अपने मन में कोई बात नहीं छिपा पाएंगी.

नारी जाति के लिए कलंक

इस श्राप ने कुंती के साथ पूरी नारी जाति के लिए कलंक बन गया.

श्राप भुगत रहीं महिलाएं

आज दुनिया की कोई भी महिला हो, वह अपने मन में कोई बात नहीं छिपा पाती है

बात न छुपा पाना

अपने मन की बात कहीं न कहीं जरूर कह देती हैं, चाहे वह कितनी ही राज वाली बात क्यों न हों.

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