ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी, वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है
बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी, ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था, अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए
अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में, दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए
तू तो मत कह हमें बुरा दुनिया, तू ने ढाला है और ढले हैं हम
तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे, अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है
तुम फ़ुज़ूल बातों का दिल पे बोझ मत लेना, हम तो ख़ैर कर लेंगे ज़िंदगी बसर तन्हा
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना, बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
यहां दिए गए शेर जावेद अख्तर ने लिखे हैं. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.