हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते... गुलजार के ये शेर याद दिला देंगे पुराना प्यार

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

तुम्हारी ख़ुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं, वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं

आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं, हवा चले न चले दिन पलटते रहते है

शाम से आंख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है

कोई अटका हुआ है पल शायद, वक़्त में पड़ गया है बल शायद

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया, जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की

Disclaimer

यहां दिए गए शेर गुलजार द्वारा रचित हैं, Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.