हमारे देश में पीरियड्स यानी मासिक धर्म को लेकर अलग- अलग बातें बताई जाती है. कई राज्यों में इससे जुड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं तो कहीं लड़कियों को सबसे अलग कर दिया जाता था.

आज हम मासिक धर्म को लेकर प्राचीन समय के भारत में क्या रीति-रिवाज थे, इनके बारे में बता करेंगे.

कुछ मान्यताओं के आधार पर प्राचीन समय में पीरियड्स होने पर लड़कियों को देवी की तरह पूजा जाता है. बताया जाता था कि मासिक धर्म होना बहुत ही शुभ माना जाता था.

पहले के समय में मासिक धर्म होने पर पहने या इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़ों को दफनाया जाता था. ऐसा माना जाता था कि इन कपड़ों का इस्तेमाल लोग काला जादू या टोटके करने में करते थे.

वहीं पीरियडस के दौरान महिलाओं को लोगों से अलग रखा जाता था. लोग मासिक धर्म को अछूत मानते थे और उन्हें उनकी जरूरत की चीजें देकर उन्हें सबसे अलग कर दिया था.

इस दौरान महिलाओं को आचार जैसी खट्टी चीजों को छूने की मनाही होती थी. माना जाता था कि अगर वो आचार छू लेती हैं तो वो खराब हो सकता है.

पुराने समय में ऐसा माना जाता था कि अगर महिला पीरियड्स के दौरान गाय को छू लेती है तो गाय बांझ हो जाती है.

इस दौरान पूजा-पाठ की मनाही होती थी. मान्यता ये थी कि पीरियड्स में पैरों में दर्द और थकावट रहती है. इसलिए वो आराम करती थी.

कर्नाटक, तमिल नाडु, असम. ओडिशा और आंध्र प्रदेश में मासिक धर्म से जुड़ा त्योहार मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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