कालसर्प योग सबसे अशुभ योगों में से एक है. कालसर्प योग दो ग्रहों से मिला है- राहु और केतु.

Zee News Desk
Apr 14, 2023

राहु को भ्रम और जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का कारक माना गया है. कालसर्प दोष की स्थिति में ये मनुष्य को अधिक संघर्ष कराता है.

केतु को मोक्ष और शोध का कारक माना गया है. कालसर्प दोष कुंडली में होने पर ये हर कार्य में बाधा प्रदान करता है.

राहु केतु के मध्य जब सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष की स्थिति बनती है. राहु केतु को एक सर्प के समान माना गया है.

कालसर्प योग को बेहद खतरनाक योग बताया गया है. अगर किसी जातक के कुंडली में हो तो वह 42 वर्षों तक संघर्ष करता है.

कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का भय बना रहता है, और उसका किसी काम में मन नहीं लगता है.

लाख कोशिशों के बाद भी हर कार्य में बाधा आती है और आपकी मेहनत का श्रेय कभी आपको प्राप्त नहीं होता है.

कालसर्प दोष के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस मास में आप रूद्राभिषेक अवश्य कराएं. इससे आपको अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है.

कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए जातक को दूध में मिश्री मिलाकर शिवलिंग पर अभिषक करें.

कालसर्प दोष के निवारण के लिए आप नियमित रूप से शिवतांडव स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

VIEW ALL

Read Next Story