क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि तालियां सिर्फ गीत-संगीत की ताल में ताल बैठाने के लिए बजाई जाती हैं

Zee News Desk
Jun 07, 2023

एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके कई कारण हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसके पौराणिक परंपरा का जिक्र किया गया है.

बताया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत प्रहलाद ने उस समय की थी जब उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उनके सारे वाद्य यंत्रों को नष्ट कर दिया था ताकि वे विष्णु की आराधना ना कर सकें.

इसके बा प्रहलाद ने भगवान विष्णु के भजनों को ताल देने के लिए हाथ से ताली बजाना शुरू कर दिया था, यहीं से ताली की शुरुआत हो गई.

दूसरी बात यह बताई जाती है कि कीर्तन के दौरान ताली बजाकर भगवान को व्यक्ति के कष्टों को सुनने के लिए पुकारा जाता है.

ऐसा करने से भगवान का ध्यान आकर्षित होता है. साथ ही भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से पापों का नाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.

इसके साथ-साथ एक अन्य मान्यता यह भी है कि प्राचीन काल में लोगों के पास वाद्य यंत्र नहीं होते थे, ऐसे में वे भजन-कीर्तन में ताल देने के लिए ताली बजाते थे.

एक दिलचस्प बात यह भी है कि इसका नाम ताली कैसे पड़ा. तो दोनों हथेलियों को लगातार पीटने से एक ताल का निर्माण हुआ और वह ताल की धुन लोगों को सुनाई देने लगी, इसी वजह से इसका नाम ताली पड़ गया.

अगर ताली बजाने के वैज्ञानिक कारण पर जाएं तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि ताली बजाने से हथेलियों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर दबाव पड़ा है, इससे हृदय, फेफड़ों के रोगों में लाभ मिलता है.

ताली बजाने से ब्लड प्रेशर भी सही रहता है. ताली बजाना एक तरह का योग भी माना जाता है. ऐसा करने से कई तरह के रोग दूर होते हैं.

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